कारोब गूदे से कोको स्वाद की नकल: स्थिरता की ओर एक एंजाइमेटिक मार्ग

द्वारा संपादित: Olga Samsonova

सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (NUS) के शोधकर्ताओं ने एंजाइमेटिक तकनीकों का उपयोग करते हुए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रगति की है, जिसका उद्देश्य कारोब गूदे को कोको के लिए एक टिकाऊ और जलवायु-लचीला विकल्प बनाना है। यह नवाचार विशेष रूप से कारोब की स्वाद संबंधी सीमाओं को संबोधित करता है, जिसका लक्ष्य बिना किसी कृत्रिम योज्य के पारंपरिक चॉकलेट की गहरी कड़वाहट और विशिष्ट सुगंध को दोहराना है। यह प्रयास खाद्य विज्ञान और कृषि स्थिरता के संगम पर एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि यह वैश्विक चॉकलेट उद्योग को अस्थिर कोको आपूर्ति श्रृंखलाओं पर अपनी निर्भरता कम करने में सहायता कर सकता है।

इस नवीन प्रक्रिया में दो मुख्य एंजाइमेटिक मार्ग शामिल हैं जो वांछित स्वाद प्रोफाइल को संश्लेषित करते हैं। एक तकनीक एंजाइम-उपचारित सोया प्रोटीन का उपयोग करती है, जो 2-मिथाइलब्यूटेनल और 3-मिथाइलब्यूटेनल जैसे कोको-सदृश सुगंध यौगिकों की मात्रा को बढ़ाने का कार्य करती है। ये विशिष्ट एल्डिहाइड यौगिक चॉकलेट के स्वाद की गहराई और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और इन्हें प्राकृतिक रूप से बढ़ाने की क्षमता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह विधि खाद्य रसायन विज्ञान में उन्नत जैव-उत्प्रेरण के अनुप्रयोग को दर्शाती है, जिससे स्वाद की नकल अधिक प्राकृतिक और स्वच्छ बनती है।

दूसरा महत्वपूर्ण चरण प्राकृतिक मोनोसैकराइड्स के उत्पादन पर केंद्रित है, जो भूनने की प्रक्रिया के दौरान मिठास, भुने हुएपन और कारमेल के नोट्स उत्पन्न करते हैं। मोनोसैकराइड्स, जो सरल शर्करा होते हैं, स्वाभाविक रूप से मीठे स्वाद के लिए जाने जाते हैं, और इस प्रक्रिया में उनका नियंत्रित उत्पादन कारोब-आधारित उत्पाद को एक अधिक आकर्षक स्वाद प्रोफ़ाइल प्रदान करता है। ये स्वच्छ और मापनीय विधियाँ न केवल स्वाद की चुनौती का समाधान करती हैं बल्कि कारोब को एक मूल्यवान साइड-स्ट्रीम उत्पाद के रूप में स्थापित करके कृषि अपशिष्ट को कम करने में भी योगदान देती हैं, जिससे किसानों और खाद्य निर्माताओं दोनों के लिए आर्थिक मूल्य जुड़ता है।

NUS के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित ये विधियाँ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक आशाजनक मार्ग प्रस्तुत करती हैं। कोको की खेती जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिससे इसकी वैश्विक आपूर्ति और कीमतें अस्थिर बनी रहती हैं; इसलिए, एक विश्वसनीय, जलवायु-लचीला विकल्प विकसित करना खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। एंजाइमेटिक रूपांतरणों का उपयोग करके, वैज्ञानिक स्वाद की जटिलताओं को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि अंतिम उत्पाद उपभोक्ता की अपेक्षाओं को पूरा करता है। यह नवाचार खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जैव-आधारित समाधानों की बढ़ती प्रासंगिकता को रेखांकित करता है, जो भविष्य में अधिक टिकाऊ और नैतिक खाद्य उत्पादन प्रणालियों की ओर अग्रसर है।

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स्रोतों

  • Mirage News

  • National University of Singapore (NUS)

  • ResearchGate

  • National University of Singapore (NUS)

  • National University of Singapore (NUS)

  • PubMed

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