आतिशबाजी के दौरान पालतू पशुओं की चिंता प्रबंधन: पशु चिकित्सकों की रणनीतियाँ
द्वारा संपादित: Olga Samsonova
छुट्टियों के मौसम में घरेलू पशुओं, विशेष रूप से कुत्तों और बिल्लियों को आतिशबाजी से होने वाली अत्यधिक परेशानी, पशु चिकित्सालयों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। पशु चिकित्सक डॉक्टर धीरज भारद्वाज के अनुसार, पटाखों की तीव्र ध्वनि को जानवर संभावित खतरे के रूप में समझते हैं, जिससे उनकी उत्तरजीविता की सहज प्रवृत्ति सक्रिय हो जाती है और वे छिपने या भागने का प्रयास करते हैं। जानवरों की श्रवण क्षमता मनुष्यों की तुलना में काफी अधिक होती है, जिसके कारण हर पटाखे का शोर उन्हें एक बड़े विस्फोट जैसा प्रतीत होता है, जिससे वे बेचैन हो जाते हैं और किसी भी दिशा में भाग सकते हैं।
इस तनावपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए, पशु चिकित्सक घर पर ही पर्यावरण संवर्धन के माध्यम से एक शांत और सुरक्षित आश्रय स्थल बनाने की सलाह देते हैं, जिसे तनावपूर्ण घटनाओं से पहले ही तैयार कर लेना चाहिए। इस सुरक्षित क्षेत्र में उचित खिलौने और बिल्लियों के लिए अलमारियों तथा खरोंचने वाले उपकरण जैसे प्राकृतिक व्यवहारों को प्रोत्साहित करने वाले तत्व शामिल होने चाहिए। पशु चिकित्सक प्रतीप चक्रवर्ती ने भी फेरोमोन डिफ्यूज़र, शांत करने वाले पूरक आहार, या दवाओं के उपयोग के संबंध में परामर्श लेने का सुझाव दिया है ताकि पालतू जानवरों की चिंता के स्तर को नियंत्रित किया जा सके। सिंथेटिक फेरोमोन डिस्पेंसर का व्यापक रूप से उपयोग दोनों प्रजातियों के लिए शांत वातावरण बनाने में सहायता हेतु सुझाया जाता है।
पशु चिकित्सक विकास कुमार सिंह और पशु प्रेमी वंशिका गुप्ता के अनुसार, तेज आवाज से जानवरों में चिंता, सुस्ती और खाने-पीने की अनिच्छा जैसे लक्षण दिख सकते हैं, और आवारा पशुओं के पास छिपने की जगह भी नहीं होती। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि पालतू जानवरों, विशेष रूप से बिल्लियों की पहचान संपर्क जानकारी के साथ अच्छी तरह से की जाए, ताकि वे घबराहट में भाग जाने पर मिल सकें। सहायक तकनीकों में शांत संगीत बजाना शामिल है, जैसा कि कुछ पालतू माता-पिता कोलकाता में कर रहे हैं, या कई महीनों की अवधि में व्यवस्थित विसंवेदीकरण (Systematic Desensitization) का उपयोग करना शामिल है। विसंवेदीकरण की प्रक्रिया में सकारात्मक सुदृढीकरण, जैसे पसंदीदा भोजन के साथ, जानवरों को धीरे-धीरे पटाखों की रिकॉर्ड की गई आवाज़ों के संपर्क में लाना शामिल है।
एनिमल वेलफेयर एक्टिविस्ट Sanctimonious Liberandus ने भी सुझाव दिया है कि मालिक कुत्तों को घर के सुरक्षित कमरे में रखें और हल्के पालतू ईयर कवर जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग करें। पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर दिपावली के त्योहार पर पटाखों की आतिशबाजी से पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर सलाह जारी करते हैं, जिसमें बताया गया है कि पटाखों की तीव्रता लगभग 140 से 150 डेसिबल तक हो सकती है, जो पशुओं के लिए हानिकारक है। पशु चिकित्सकों का यह भी कहना है कि त्योहारों के दौरान पालतू जानवरों को व्यस्त रखना और शोर शुरू होने से पहले उन्हें भोजन कराना चाहिए। जानवरों के पास हमेशा पानी का एक कटोरा उपलब्ध रखना चाहिए, क्योंकि तनाव में उनका पानी का सेवन बढ़ जाता है।
जानवरों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए, यह याद रखना आवश्यक है कि यह त्योहार केवल मानव आनंद के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाने का भी अवसर है, क्योंकि पिछले वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि दिवाली के दौरान पालतू जानवरों के घायल होने या खो जाने की घटनाओं में वृद्धि होती है।
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स्रोतों
Prensa Libre
Prensa Libre
El Universal
La Crónica de Hoy
MSD Animal Health
El Informador
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