अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान ने फ्रीडम एज अभ्यास शुरू किया, उत्तर कोरिया ने की आलोचना

द्वारा संपादित: Svetlana Velgush

15 सितंबर, 2025 को अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान ने अपने वार्षिक 'फ्रीडम एज' सैन्य अभ्यासों का शुभारंभ किया। यह पांच दिवसीय बहु-डोमेन अभ्यास दक्षिण कोरिया के जेजू द्वीप के दक्षिण-पूर्व में अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा है और 19 सितंबर, 2025 तक चलेगा। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु और मिसाइल खतरों का मुकाबला करने के लिए तीनों देशों के बीच अंतरसंचालनीयता (interoperability) को बढ़ाना है। यह अभ्यास पिछले साल अगस्त 2023 में हुए कैम्प डेविड शिखर सम्मेलन के समझौतों का अनुवर्ती कदम है, जिसका उद्देश्य त्रिपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना है।

उत्तर कोरिया ने इन अभ्यासों की कड़ी निंदा की है, जिसे वह 'खतरनाक' और 'शक्ति का लापरवाह प्रदर्शन' बता रहा है। उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की बहन, किम यो जोंग ने इन अभ्यासों को आक्रमण की तैयारी करार देते हुए चेतावनी दी है कि इससे नकारात्मक परिणाम होंगे। उत्तर कोरियाई अधिकारियों का मानना है कि ये अभ्यास क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करते हैं और सैन्य तनाव को बढ़ाते हैं। यह प्रतिक्रिया उत्तर कोरिया की उस पुरानी नीति के अनुरूप है जिसमें वह ऐसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों को उकसावे के रूप में देखता है।

इसके विपरीत, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ये अभ्यास विशुद्ध रूप से रक्षात्मक प्रकृति के हैं और इनका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखना है। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ये अभ्यास समुद्री, वायु और साइबर क्षेत्रों में देशों की संयुक्त परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए आवश्यक हैं। अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड ने कहा है कि यह अभ्यास त्रिपक्षीय रक्षा सहयोग का सबसे उन्नत प्रदर्शन है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा, वायु रक्षा, चिकित्सा निकासी और समुद्री अंतर-रोधन (maritime interdiction) प्रशिक्षण शामिल हैं।

'फ्रीडम एज' अभ्यास त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यासों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें जून और नवंबर 2024 में भी ऐसे अभ्यास आयोजित किए गए थे। उत्तर कोरिया अक्सर इन अभ्यासों को 'एशियाई नाटो' के रूप में वर्णित करता है और अपनी सैन्य तैयारियों को तेज करने के लिए इन्हें एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करता है। इन अभ्यासों का उद्देश्य न केवल उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल खतरों का मुकाबला करना है, बल्कि तीनों देशों के बीच सामरिक संरेखण (strategic alignment) को भी मजबूत करना है, जो क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का एक समन्वित जवाब दर्शाता है।

स्रोतों

  • Bloomberg Business

  • TimesLive

  • Al Jazeera

  • U.S. Indo-Pacific Command

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