चेक गणराज्य में 2025 में संपन्न हुए संसदीय चुनावों में अरबपति राजनेता आंद्रेज बबिस की दक्षिणपंथी लोकलुभावन पार्टी ANO ने निर्णायक जीत हासिल की है। ANO पार्टी ने संसद के निचले सदन में 200 में से 80 सीटें जीती हैं। बबिस अब सरकार बनाने की प्रक्रिया में हैं, लेकिन उन्हें गठबंधन बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
चुनावों के नतीजों ने देश की विदेश नीति, विशेष रूप से यूक्रेन के प्रति उसके रुख और यूरोपीय संघ के साथ संबंधों को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि बबिस की पार्टी, जो अक्सर राष्ट्रवादी और यूरोपीय संघ-विरोधी विचारों का समर्थन करती है, यूक्रेन को मिलने वाली सहायता को सीमित कर सकती है। बबिस ने संकेत दिया है कि यूक्रेन यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए अभी तैयार नहीं है और युद्ध समाप्त होने के बाद ही इस पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की पहल नाटो के माध्यम से आयोजित की जानी चाहिए, न कि सीधे तौर पर।
सरकार बनाने के लिए, बबिस को अन्य दलों से समर्थन की आवश्यकता होगी। उन्होंने एक-दलीय सरकार बनाने का प्रयास करने की बात कही है, लेकिन इसके लिए उन्हें फ्रीडम एंड डायरेक्ट डेमोक्रेसी (SPD) और 'मोटरलिस्ट फॉर देमसेल्व्स' (Motorists for Themselves) नामक मोटरलिस्ट आंदोलन जैसे दलों से समर्थन की आवश्यकता होगी, जिसने 6.78% वोट प्राप्त किए हैं। SPD पार्टी यूरोपीय संघ और नाटो से बाहर निकलने के जनमत संग्रह की मांग करती है, जबकि बबिस ने यूरोपीय संघ और नाटो के प्रति अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराई है। इन पार्टियों के साथ गठबंधन बनाना बबिस के लिए एक नाजुक संतुलन साधने जैसा होगा।
राष्ट्रपति पेट्र पावेल ने जोर देकर कहा है कि देश की विदेश नीति पश्चिमी दिशा में बनी रहनी चाहिए और लोकतांत्रिक संस्थानों का संरक्षण होना चाहिए। यह बबिस के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी से ही सरकार का गठन करना होगा। बबिस के पिछले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान, उन्होंने घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था। हालांकि, उनकी सरकार के गठन की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि उन्हें न केवल गठबंधन सहयोगियों को मनाना होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को भी दूर करना होगा। चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी 68.8% रही।
इस चुनाव परिणाम का क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। बबिस की जीत यूरोपीय संघ के भीतर एकता को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब यूक्रेन युद्ध और रूस के साथ संबंधों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो रही हो। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बबिस अपनी सरकार कैसे बनाते हैं और क्या वे देश को एक स्थिर और पश्चिमी-उन्मुखी दिशा में ले जा पाते हैं।