चेक चुनाव परिणाम: ANO की जीत से यूक्रेन सहायता पर चिंताएं बढ़ीं

द्वारा संपादित: Татьяна Гуринович

चेक गणराज्य में 20-21 अक्टूबर, 2025 को हुए संसदीय चुनावों में, अरबपति पूर्व प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी लोकलुभावन पार्टी ANO ने महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। बाबिस की पार्टी को 35.5% वोट मिले, जो देश की यूक्रेन को सैन्य सहायता प्रदान करने की नीति में संभावित बदलाव का संकेत देता है। वर्तमान मध्य-दक्षिणपंथी गठबंधन, स्पोलु (टुगेदर), जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री पेट्र फियाला कर रहे थे, को 22.4% वोट मिले। वहीं, धुर-दक्षिणपंथी फ्रीडम एंड डायरेक्ट डेमोक्रेसी (SPD) पार्टी ने लगभग 12% वोट हासिल किए। ANO पार्टी के SPD के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने की उम्मीद है।

बाबिस ने वर्तमान सरकार की हथियारों की पहल को "सड़ी हुई" बताते हुए इसकी आलोचना की थी और कहा था कि इस पर होने वाले खर्च को देश के नागरिकों के कल्याण पर लगाया जाना चाहिए। उन्होंने इस पहल को रोकने का वादा किया है। यह बयान यूक्रेन के सहयोगियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि चेक गणराज्य यूक्रेन को तोपखाने के गोले की आपूर्ति करने वाली एक महत्वपूर्ण पहल में शामिल रहा है। युद्ध के पहले वर्ष में, चेक गणराज्य ने यूक्रेन को दस लाख से अधिक तोपखाने के गोले और बड़े कैलिबर के गोला-बारूद की आपूर्ति की थी। बाबिस का यह रुख, हंगरी और स्लोवाकिया जैसे देशों के साथ चेक गणराज्य को और करीब ला सकता है, जिन्होंने यूक्रेन को सैन्य सहायता देने से इनकार कर दिया है और रूस पर लगे प्रतिबंधों का विरोध किया है।

विश्लेषकों का मानना है कि बाबिस के बयान राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं, और किसी भी बड़े नीतिगत बदलाव के लिए संसदीय समर्थन की आवश्यकता होगी। हालांकि, SPD पार्टी पर रूसी दुष्प्रचार फैलाने के आरोप लगे हैं, जो स्थिति को और जटिल बना सकता है।

प्रधानमंत्री पेट्र फियाला के प्रशासन ने रूस के आक्रमण के बाद से यूक्रेन को लगातार मानवीय और सैन्य सहायता प्रदान की है। फियाला ने कोपेनहेगन में यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के लिए समर्थन जारी रखने और यूरोपीय देशों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि यूरोप को एकता, शक्ति और दृढ़ संकल्प दिखाना चाहिए। चेक गणराज्य ने 2022 से यूक्रेन को 40 बिलियन क्राउन की सहायता प्रदान की है।

यह चुनाव परिणाम चेक गणराज्य की विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाबिस की जीत और संभावित गठबंधन से यूक्रेन को मिलने वाली सहायता की निरंतरता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। आने वाला समय ही बताएगा कि क्या चेक गणराज्य यूक्रेन के एक प्रमुख समर्थक के रूप में अपनी भूमिका बनाए रखेगा या एक अधिक तटस्थ या अलगाववादी स्थिति की ओर बढ़ेगा।

स्रोतों

  • Deutsche Welle

  • Fakti.bg

  • Kyiv Independent

  • Sky News

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