तियानजिन, चीन में 31 अगस्त, 2025 को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदस्य देशों के बीच सहयोग और वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने और दोहरे मापदंडों को अस्वीकार करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद राष्ट्रों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ हैं, और SCO को इनका सामना करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है और इस लड़ाई में साथ देने वाले मित्र देशों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के किसी भी रूप या रंग के प्रति कोई दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होगा। भारत की SCO के प्रति नीति को तीन मुख्य स्तंभों - सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर - पर आधारित बताते हुए, प्रधानमंत्री ने सदस्य देशों से प्रगति और राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह किया।
उन्होंने वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि SCO बहुपक्षवाद और एक समावेशी विश्व व्यवस्था के लिए एक मार्गदर्शक बन सकता है। शिखर सम्मेलन के दौरान, किर्गिस्तान को 2025-26 के लिए SCO की अध्यक्षता सौंपी गई। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किर्गिस्तान को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर, भारत ने सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक सभ्यतागत संवाद मंच (Civilisational Dialogue Forum) स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा।
शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के वित्तपोषण और कट्टरता के खिलाफ समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने SCO के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे (RATS) के तहत अल-कायदा और उससे जुड़े आतंकवादी संगठनों के खिलाफ संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व किया है। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा रहे हैं, और अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ जैसे मुद्दे भी चर्चा का विषय रहे। इस सम्मेलन ने भारत के लिए क्षेत्रीय समाधानों की ओर बढ़ने और अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने का एक अवसर प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि कनेक्टिविटी के प्रयासों में संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी विश्वास और अर्थ खो देती है।