ब्राज़ील ने संयुक्त राज्य अमेरिका से आने वाले आयातों पर 50% का टैरिफ़ लगाया है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार तनाव का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की पिछली कार्रवाइयों की प्रतिक्रिया के रूप में उठाया गया है। राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा के नेतृत्व में, ब्राज़ील ने "ब्राज़ील अपनी पहचान के साथ" नामक एक आर्थिक रणनीति की घोषणा की है। इस रणनीति के तहत, स्थानीय उत्पादकों को 30 बिलियन ब्राज़ीलियाई रियल (लगभग 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की कर छूट प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, प्रभावित कंपनियों के लिए कर भुगतान में देरी की जाएगी और अमेरिकी कंपनियों पर 2026 के अंत तक 5% का कर लगाया जाएगा, जिसे छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों तक विस्तारित करने की योजना है। यह टैरिफ़ 6 अगस्त, 2025 से प्रभावी हुआ है और इसमें प्राकृतिक पत्थर, कॉफी, मांस, फल, कपड़े और जूते जैसे ब्राज़ीलियाई निर्यात शामिल हैं। ब्राज़ील सरकार के अनुसार, ब्राज़ील के सभी अमेरिकी निर्यातों का 36% अब इस अधिभार के अधीन है। यह कदम वैश्विक व्यापार गतिशीलता और आर्थिक सुधार के प्रयासों को प्रभावित करता है, खासकर COVID-19 के बाद की चुनौतियों के संदर्भ में।
ब्राज़ील की इस कार्रवाई के जवाब में, विश्व व्यापार संगठन (WTO) में परामर्श का अनुरोध किया गया है, जो अमेरिकी टैरिफ़ को चुनौती देने की दिशा में पहला कदम है। ब्राज़ील का तर्क है कि ये अमेरिकी उपाय WTO के मूल प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करते हैं। राष्ट्रपति लूला ने इस संकट को नवाचार और नई चीजें बनाने के अवसर के रूप में देखा है, और उनका मानना है कि अमेरिका द्वारा ब्राज़ील पर दंड लगाने के कारण मान्य नहीं हैं। गोल्डमैन सैक्स के अनुमान के अनुसार, ब्राज़ील के अमेरिकी निर्यात उसके सकल घरेलू उत्पाद का 2% है, और इन टैरिफ़ से उसकी आर्थिक वृद्धि 0.3 से 0.4 प्रतिशत अंक कम हो सकती है। ब्राज़ील ने इस स्थिति से निपटने के लिए "संप्रभु ब्राज़ील" नामक एक व्यापक आर्थिक सहायता पैकेज पेश किया है, जिसमें कर राहत, छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के लिए कर क्रेडिट और निर्यात बीमा का विस्तार शामिल है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार, कूटनीति और घरेलू राजनीति के जटिल अंतर्संबंध को दर्शाता है।