मॉस्को: रूस ने मोल्दोवा के संसदीय चुनावों के लिए अपने प्रतिनिधियों को पर्यवेक्षक के तौर पर मान्यता देने से इनकार करने के फैसले पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। 24 सितंबर, 2025 को, रूसी विदेश मंत्रालय ने मोल्दोवा के राजदूत को तलब कर इस कदम पर अपनी आपत्ति व्यक्त की। रूस का मानना है कि यह निर्णय आगामी 28 सितंबर के चुनावों की वैधता और पारदर्शिता पर संदेह पैदा करता है, जो मोल्दोवा के भविष्य की दिशा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मोल्दोवा का यह कदम उसके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों, विशेष रूप से 1990 के OSCE कोपेनहेगन दस्तावेज़ और 2002 के CIS कन्वेंशन का उल्लंघन है। मंत्रालय के अनुसार, यह मोल्दोवा की अपनी रूसी-विरोधी नीति का एक और उदाहरण है। इस स्थिति को देखते हुए, रूस ने इस मामले को 57-राष्ट्रों वाले संगठन सुरक्षा और सहयोग के लिए यूरोप (OSCE) के समक्ष उठाने की घोषणा की है।
मोल्दोवा के विदेश मंत्रालय ने अपने राजदूत के तलब किए जाने की पुष्टि की है। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि चुनाव के संबंध में उठाए गए सभी कदम निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हैं। मोल्दोवा का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के संबंध में मान्यता संबंधी निर्णय एक निष्पक्ष प्रक्रिया की गारंटी के लिए राष्ट्रीय विधान और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के साथ मिलकर लिए जाते हैं।
इस बीच, OSCE का कार्यालय लोकतांत्रिक संस्थानों और मानवाधिकारों (ODIHR) ने 28 सितंबर को होने वाले चुनावों के अवलोकन के लिए अपना मिशन शुरू कर दिया है। इस मिशन में 14 OSCE भाग लेने वाले देशों के 15 विशेषज्ञों की एक कोर टीम शामिल है, और 26 सितंबर से देश भर में अल्पकालिक पर्यवेक्षकों को तैनात किया जाएगा। OSCE का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव लोकतांत्रिक मानकों के अनुरूप हों।
यह घटनाक्रम मोल्दोवा के लिए एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक मोड़ पर हो रहा है। देश यूरोपीय संघ के साथ अपने एकीकरण को मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है, जबकि कुछ राजनीतिक समूह रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने के पक्षधर हैं। पिछले चुनावों में भी OSCE पर्यवेक्षकों ने विदेशी हस्तक्षेप और दुष्प्रचार अभियानों की चिंताओं को उजागर किया था, जो इस बार भी एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। रूस द्वारा पर्यवेक्षकों को मान्यता न देना, इस जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक और परत जोड़ता है, जहाँ पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना सर्वोपरि है। OSCE की भूमिका ऐसे समय में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब देश अपनी लोकतांत्रिक राह पर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है।