18 सितंबर, 2025 को, फ्रांस राष्ट्रव्यापी हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों से प्रभावित रहा, जिसका मुख्य कारण राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार द्वारा प्रस्तावित मितव्ययिता (austerity) उपाय थे। प्रमुख श्रमिक संघों द्वारा आयोजित इन हड़तालों ने परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक सेवाओं जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया। परिवहन व्यवस्था चरमरा गई, जिसमें फ्रांसीसी राष्ट्रीय रेलवे कंपनी SNCF ने बताया कि केवल 30% से 40% सेवाएं ही चालू थीं। पेरिस में, RATP द्वारा संचालित मेट्रो, बसें और ट्राम गंभीर रूप से बाधित हुईं, कुछ लाइनें पूरी तरह से बंद कर दी गईं। हवाई यातायात नियंत्रकों के हड़ताल पर जाने के कारण प्रमुख हवाई अड्डों पर देरी और रद्दीकरण हुए।
सार्वजनिक सेवाओं पर भी गहरा असर पड़ा। देश भर में फार्मेसियों के बंद होने से केवल आपातकालीन सेवाएं ही उपलब्ध थीं। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी कामकाज प्रभावित हुआ, जिससे छात्रों और कर्मचारियों को परेशानी हुई। देश भर में हुए प्रदर्शनों में, नागरिकों ने बजट में कटौती, सामाजिक कल्याण में कटौती और अन्य मितव्ययिता उपायों का कड़ा विरोध किया। बढ़ती गरीबी, असमानता और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के क्षरण को लेकर चिंताएं प्रमुख थीं। पेरिस में, दंगा पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जबकि नैनटेस और ल्योन जैसे शहरों में सड़क अवरोध किए गए। सरकार ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगभग 80,000 पुलिस अधिकारियों को तैनात किया।
राजनीतिक परिदृश्य में, प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरो ने 9 सितंबर, 2025 को विश्वास मत हारने के बाद इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सेबेस्टियन लेकॉर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। आलोचकों ने लेकॉर्नू की नियुक्ति को पिछली सरकारी नीतियों की निरंतरता के रूप में देखा, जिसने जनता के असंतोष को और बढ़ा दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की व्यापक हड़तालें अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं, खासकर पर्यटन और खुदरा क्षेत्रों पर। हालांकि, पिछले विरोध प्रदर्शनों के आंकड़ों से पता चलता है कि फ्रांस की अर्थव्यवस्था पर समग्र प्रभाव सीमित रहा है, लेकिन व्यक्तिगत यात्रियों और व्यवसायों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। सरकार के लिए, यह स्थिति एक बड़ी चुनौती पेश करती है, क्योंकि उसे राजकोषीय जिम्मेदारी और सामाजिक स्थिरता के बीच संतुलन बनाना है। नए प्रधानमंत्री लेकॉर्नू के लिए यह एक प्रारंभिक परीक्षा है, जो देश के बढ़ते घाटे और राजनीतिक अस्थिरता के बीच अपनी नेतृत्व क्षमता साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। इन घटनाओं ने फ्रांस में आर्थिक नीतियों और सार्वजनिक सेवाओं के भविष्य को लेकर गहरे सामाजिक तनावों को उजागर किया। हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों में व्यापक भागीदारी ने नीतिगत बदलावों और मितव्ययिता उपायों के पुनर्मूल्यांकन की सामूहिक मांग को दर्शाया।