गुरुवार, 20 नवंबर 2025 को, ब्रुसेल्स में फिलिस्तीनी डोनर्स ग्रुप (PDG) की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस सभा में 60 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों ने हिस्सा लिया, जिनका मुख्य एजेंडा गाजा पट्टी के युद्धोपरांत ढांचे और फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) में आवश्यक सुधारों पर विचार-विमर्श करना था। इस आयोजन की संयुक्त अध्यक्षता फ्रांस और सऊदी अरब ने की। चर्चा का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव के कार्यान्वयन की रूपरेखा तैयार करना था, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा तैयार किया गया था। दिन की शुरुआत वरिष्ठ अधिकारियों के सत्र से हुई, जिसकी सह-अध्यक्षता यूरोपीय संघ के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA) मामलों के निदेशक सन्निनो और फिलिस्तीनी योजना एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री सलामेह ने की। इसके बाद, यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काया कालास और पीए के प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफा की उपस्थिति में मंत्रिस्तरीय सत्र संपन्न हुआ।
इन गहन चर्चाओं का मुख्य आधार फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सशक्त बनाना था। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारोट का स्पष्ट मत था कि भविष्य में शासन संभालने की क्षमता के लिए पीए का सुदृढ़ीकरण अत्यंत आवश्यक है। यूरोपीय संघ, जो पीए का सबसे बड़ा वित्तीय दाता है, इस प्रक्रिया में अपनी भूमिका को मजबूत करने पर जोर दे रहा है। ईयू ने गाजा में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए 3000 फिलिस्तीनी पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव रखा है, जो अमेरिकी योजना के तहत इजरायली सैनिकों की वापसी के बाद यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। फ्रांस ने भी इस प्रशिक्षण मिशन में 100 जेंडरमे (पुलिस अधिकारियों) को भेजने की अपनी तत्परता दोहराई। इसके अतिरिक्त, ईयू अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की निगरानी वाले 'शांति परिषद' में प्रतिनिधित्व चाहता है और गाजा की नागरिक सेवाओं के प्रबंधन के लिए पीए को एक 'तकनीकी, अराजनीतिक समिति' हेतु कर्मचारी प्रदान करने पर भी जोर दे रहा है।
फिलिस्तीनी प्राधिकरण के सुधारों को लेकर विभिन्न पक्षों के बीच मतभेद स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आए हैं। यूरोपीय संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह तभी वित्तीय सहायता प्रदान करेगा जब संरचनात्मक परिवर्तन किए जाएंगे। इन परिवर्तनों में 'शहीद कोष' को समाप्त करना और पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा शामिल है, जिसका समर्थन संयुक्त राज्य अमेरिका भी शासन हस्तांतरण की शर्त के रूप में कर रहा है। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया में एक बड़ा रोड़ा इजरायल है, जो गाजा पट्टी के प्रशासन में किसी भी प्रकार की फिलिस्तीनी प्राधिकरण की भूमिका को सिरे से खारिज कर रहा है। इन अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बीच, हमास समूह, जिसने अक्टूबर में 20-सूत्रीय योजना के पहले चरण पर सहमति व्यक्त की थी, ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की निंदा की है और निशस्त्रीकरण की इच्छा नहीं दिखाई है।
पश्चिमी तट पर अर्ध-स्वायत्त शासन चला रहा पीए, गाजा में युद्धोपरांत प्रमुख भूमिका निभाने की अपनी आकांक्षा को मजबूत करना चाहता है। इस दिशा में, पीए ने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के सामने गाजा के पुनर्निर्माण के लिए GRRIP नामक एक पंचवर्षीय योजना प्रस्तुत की है। इस महत्वाकांक्षी योजना का अनुमानित मूल्य 67 अरब डॉलर है और यह 18 विभिन्न क्षेत्रों को कवर करती है। इस योजना के पहले चरण में अगले छह महीनों के भीतर 3.5 अरब डॉलर की आपातकालीन सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने पहले इस योजना का समर्थन करते हुए कहा था कि स्थायी शांति सभी के लिए 'शांति लाभांश' लाएगी। इसी बीच, ब्रुसेल्स में फिलिस्तीनी राजदूत अमल जादो ने एक महत्वपूर्ण वित्तीय मुद्दा उठाया, जिसमें बताया गया कि इजरायल लगभग तीन अरब डॉलर के सीमा शुल्क राजस्व को रोके हुए है, जिससे पीए का वित्तीय संकट और गहरा हो गया है।
ब्रुसेल्स में यह बैठक न्यूयॉर्क में हुए हालिया सम्मेलन के प्रयासों की अगली कड़ी है। यह बैठक इस बात पर प्रकाश डालती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अब केवल मानवीय सहायता पर नहीं, बल्कि सुधारों और सुशासन के माध्यम से क्षेत्र में स्थिरता लाने पर केंद्रित है। यूरोपीय संघ राफा में नागरिक सीमा निगरानी मिशन के विस्तार पर भी विचार कर रहा है। 20 नवंबर की यह चर्चा, इजरायल और हमास दोनों के विरोध के बावजूद, गाजा के लिए एक वैध वैकल्पिक शासन व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
