प्राकृतिक अणुओं से उपज की आयु बढ़ाना: खाद्य बर्बादी कम करने की नई दिशा

द्वारा संपादित: Olga Samsonova

खाद्य उत्पादन क्षेत्र के वैश्विक कार्बन पदचिह्न को कम करने और खाद्य बर्बादी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से, 'फ्रूटप्रिंट' नामक एक महत्वपूर्ण पहल विकसित की जा रही है। यह परियोजना फलों और सब्जियों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बायोएक्टिव अणुओं का उपयोग करने की नवीन विधियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह प्रयास उस व्यापक वैश्विक चुनौती का समाधान करता है जहाँ बढ़ती आबादी को खिलाने और खाद्य उत्पादन से जुड़े पर्यावरणीय बोझ को संतुलित करने की आवश्यकता है।

शोधकर्ता विशेष रूप से कैरोटीनॉयड और एपोकेरोटीनॉयड नामक प्राकृतिक यौगिकों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ये अणु अपनी शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं, और इनका उपयोग पकने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए किया जा रहा है। कैरोटीनॉयड, जो पौधों, कवक, बैक्टीरिया या शैवाल में स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होते हैं, न केवल रंग प्रदान करते हैं बल्कि ऑक्सीडेटिव क्षति से भी बचाते हैं, जिससे खाद्य पदार्थों के संवेदी गुण बेहतर होते हैं। ये यौगिक, जैसे कि बीटा-कैरोटीन और लाइकोपीन, सिंथेटिक रंगों के लिए एक स्वस्थ विकल्प प्रस्तुत करते हैं और इनमें एंटी-ट्यूमर या एंटीमाइक्रोबियल जैसे अतिरिक्त लाभ भी हो सकते हैं।

यह शोध वर्तमान भंडारण तकनीकों, जैसे नियंत्रित वातावरण भंडारण या 1-MCP जैसे रासायनिक अवरोधकों, के लिए एक टिकाऊ विकल्प खोजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नियंत्रित वातावरण भंडारण ऊर्जा-गहन हो सकता है और 1-MCP जैसे रसायनों का उपयोग खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और स्वाद को प्रभावित कर सकता है। प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स का उपयोग उपभोक्ता की 'क्लीन-लेबल' और रासायनिक-मुक्त उत्पादों की बढ़ती मांग के अनुरूप है, जो खाद्य पदार्थों की ताजगी और पोषण मूल्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।

एपोकेरोटीनॉयड, जो कैरोटीनॉयड के विखंडन उत्पाद हैं, भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ एपोकेरोटीनॉयड विटामिन ए के अग्रदूत होते हैं, जो स्तनधारियों के लिए आवश्यक है, क्योंकि वे स्वयं इसका संश्लेषण नहीं कर सकते। इसके अतिरिक्त, ये यौगिक फलों और सब्जियों के स्वाद और सुगंध में योगदान करते हैं, जो उपभोक्ता अनुभव को बढ़ाते हैं।

खाद्य बर्बादी को कम करने का यह प्रयास केवल एक तकनीकी समाधान नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक जागरूकता का प्रतीक है कि हम अपने संसाधनों का प्रबंधन कैसे करते हैं। खाद्य प्रणाली वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक तिहाई हिस्सा है, और न खाए गए भोजन से होने वाला नुकसान जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है। जब हम ऐसी नवीन विधियों को अपनाते हैं जो प्राकृतिक रूप से उपज की आयु बढ़ाती हैं, तो हम न केवल आर्थिक मूल्य बचाते हैं, बल्कि हम उस ऊर्जा, जल और भूमि के उपयोग को भी सम्मान देते हैं जो उस भोजन को उगाने में लगा था। यह दृष्टिकोण हमें यह समझने की ओर ले जाता है कि हर स्तर पर सावधानी और नवीनता का समावेश ही एक अधिक संतुलित और समृद्ध भविष्य का आधार बन सकता है। खाद्य पदार्थों के उचित भंडारण और बर्बादी को रोकने के लिए नवीन समाधानों की खोज, जैसे कि यह 'फ्रूटप्रिंट' परियोजना, हमें उस प्रवाह के साथ संरेखित करती है जहाँ संसाधनों का सम्मान किया जाता है और हर वस्तु का मूल्य पहचाना जाता है।

स्रोतों

  • Media ENEA

  • Design of novel post-harvest technologies with low carbon footprint based on the discovery of active biomolecules | FRUITPRINT | Project | Fact Sheet | HORIZON | CORDIS | European Commission

  • CIHEAM Chania - Mediterranean Agronomic Institute of Chania - One project

  • CBE 2025 call for project proposals (HORIZON-JU-CBE-2025) | EU Agri-food Platform

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