केंट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी के सिमुलेटर में चाय के पौधे उगाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। प्रोफेसर निगेल मेसन के नेतृत्व में किए गए इस प्रयोग में, चाय के पौधों ने पृथ्वी की मिट्टी के समान ही चंद्रमा की मिट्टी में जड़ें जमाईं और विकसित हुईं। यह खोज भविष्य के चंद्र और मंगल मिशनों के लिए अंतरिक्ष कृषि के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, जो स्थायी मानव बस्तियों की स्थापना के लक्ष्य को बल देती है।
इस अध्ययन में, चाय के पौधों को विशेष रूप से तैयार की गई मिट्टी में उगाया गया, जो चंद्रमा की सतह की कठोर और पोषक तत्वों की कमी वाली परिस्थितियों की नकल करती है। पौधों को नियंत्रित तापमान, आर्द्रता और एलईडी प्रकाश व्यवस्था के तहत विकसित किया गया, जो अंतरिक्ष के वातावरण का अनुकरण करता है। तुलना के लिए, एक नियंत्रण समूह को डेवोन की सामान्य मिट्टी में उगाया गया। इस शोध के परिणाम, जो सितंबर 2025 में अपेक्षित थे, भविष्य के चंद्र और मंगल अड्डों के लिए खाद्य योजना को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
यह प्रयोग इस बात की पुष्टि करता है कि परिचित फसलें अपरिचित दुनिया में भी विकसित की जा सकती हैं। यह न केवल चाय की सांस्कृतिक प्रासंगिकता को दर्शाता है, बल्कि एक ऐसे कठोर पौधे का परीक्षण भी करता है जो अप्रत्याशित वातावरण में ताज़ी पत्तियों की एक स्थिर आपूर्ति का आधार बन सकता है। यदि चाय के पौधे चंद्रमा की मिट्टी में जड़ें जमा सकते हैं, तो यह एक आशाजनक संकेत है कि अन्य तेजी से बढ़ने वाली फसलें भी इसका अनुसरण कर सकती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अंतरिक्ष यात्रियों ने पहले ही लेट्यूस, मिर्च और छोटे टमाटर जैसी फसलें उगाई हैं, जिससे उनके मनोबल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और तनाव कम हुआ है। चाय का समावेश एक सांस्कृतिक पहलू जोड़ता है, जो एक परिचित और सामाजिक आराम प्रदान करता है। हालांकि, चंद्रमा की मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की कमी और पानी को ठीक से धारण न कर पाने जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। यह शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे अंतरिक्ष अन्वेषण से प्राप्त ज्ञान पृथ्वी पर कृषि की चुनौतियों का समाधान करने में भी सहायक हो सकता है, जैसे कि सटीक जल प्रबंधन और ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था, जो पृथ्वी पर ग्रीनहाउस की पैदावार को बढ़ा सकती हैं।