जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बीच, फ्रांस के बोर्दो क्षेत्र की प्रतिष्ठित वाइनरीज़ अपने उत्पादन के तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव कर रही हैं। इसी क्रम में, पोमेरेल स्थित शैतो लाफ्लेर (Château Lafleur) ने अपने 2025 विंटेज को पारंपरिक एपेलेशन (appellation) के बजाय विन डी फ्रांस (Vin de France) श्रेणी के तहत जारी करने का निर्णय लिया है। यह कदम वाइनरी को बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप सिंचाई और अंगूर की बेलों के प्रबंधन में अधिक लचीलापन प्रदान करेगा। शैतो लाफ्लेर के मालिकों ने कहा कि यह निर्णय उन्हें सिंचाई के लिए अधिक स्वायत्तता देगा और अंगूरों को सीधी धूप से बचाने तथा पानी की कमी को कम करने के लिए बेलों के प्रबंधन में बदलाव करने की अनुमति देगा। यह रणनीति टस्कनी में पहले हुए सुधारों के समान है, जो अनुकूलन और आधुनिक तकनीकों पर जोर देती है।
अंगूर की बेलों को अत्यधिक गर्मी और पानी की कमी से बचाने के लिए, बोर्दो के वाइन उत्पादक कई नई विधियों को अपना रहे हैं। इनमें बेलों की छंटाई (pruning) का समय बदलना, बेल के तने की ऊंचाई बढ़ाना, अंगूरों को धूप से बचाने के लिए पत्तियों को कम छांटना, और पानी के तनाव के प्रति अधिक प्रतिरोधी किस्मों और रूटस्टॉक का चयन करना शामिल है। स्मार्ट ड्रिप सिंचाई प्रणाली, जो सीधे जड़ों तक पानी पहुंचाती है, और मल्चिंग (mulching) जैसी तकनीकें भी पानी के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। फ्रांस में 2025 की फसल जल्दी शुरू हुई और मात्रा में थोड़ी वृद्धि हुई, हालांकि यह अभी भी पांच साल के औसत से कम है। शैतो लाफ्लेर का यह कदम वाइन उद्योग के जलवायु परिवर्तन के प्रति निरंतर अनुकूलन को दर्शाता है, साथ ही गुणवत्ता और परंपरा को बनाए रखने के प्रयासों को भी उजागर करता है।
बोर्दो क्षेत्र ने 2020 तक अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए एक योजना लागू की थी और 2013 तक अपने कार्बन फुटप्रिंट में 9% की कमी हासिल की थी। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र ने जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए छह नई अंगूर की किस्मों को भी मंजूरी दी है, जिनमें चार लाल अंगूर (मार्सलन, टूरिगा नैशनल, एरिनारनोआ, और कैस्टे) और दो सफेद अंगूर (अल्वारिन्हो और लिलियोरिला) शामिल हैं। ये किस्में उच्च तापमान को बेहतर ढंग से सहन कर सकती हैं और उनके विकास चक्र छोटे होते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण, दुनिया भर के वाइन क्षेत्रों में अंगूर की फसल का समय बदल रहा है, जिससे वाइन की गुणवत्ता, स्वाद और अल्कोहल की मात्रा प्रभावित हो रही है। उदाहरण के लिए, बोर्दो और अलसैस क्षेत्रों में फसल का समय पहले हो रहा है, जिससे वाइन में अल्कोहल का स्तर बढ़ रहा है। इस चुनौती का सामना करने के लिए, वाइन उत्पादक नई तकनीकों और अंगूर की किस्मों को अपना रहे हैं ताकि वे भविष्य में भी उच्च गुणवत्ता वाली वाइन का उत्पादन जारी रख सकें। शैतो लाफ्लेर का यह निर्णय इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दर्शाता है कि कैसे परंपरा और नवाचार मिलकर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।