सैमरा सगीनबायेवा द्वारा निर्देशित पहली डॉक्यूमेंट्री, "पैनिक बटन", किर्गिस्तान में एक बड़े भ्रष्टाचार कांड की जांच के नतीजों को उजागर करती है। यह फिल्म पत्रकार अली टोक्टाकुनोव पर केंद्रित है, जिन्होंने कथित तौर पर 700 मिलियन डॉलर के गबन की योजना का खुलासा किया था। टोक्टाकुनोव की रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद, उनके व्हिसलब्लोअर की हत्या कर दी गई, जिसके कारण पत्रकार और उनके परिवार को शरण लेनी पड़ी। "पैनिक बटन" उनकी भयावह अनुभवों का वर्णन करती है, जिसमें उनकी शुरुआती उड़ान से लेकर बढ़ते खतरों के बीच किर्गिस्तान वापसी तक का सफर शामिल है।
यह फिल्म बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित हुई, जहाँ इसने डॉक्यूमेंट्री प्रतियोगिता में अपनी अंतर्राष्ट्रीय शुरुआत की। यह फिल्म प्राग में वन वर्ल्ड फेस्टिवल में भी दिखाई गई थी, जो मानवाधिकारों पर सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्रों के प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। यह डॉक्यूमेंट्री किर्गिस्तान में नागरिक स्वतंत्रता और स्वतंत्र मीडिया के व्यापक निहितार्थों पर भी प्रकाश डालती है, जो चुनौतीपूर्ण माहौल में खोजी पत्रकारों के साहस का एक शक्तिशाली प्रमाण है। अली टोक्टाकुनोव, जो रेडियो फ्री यूरोप के किर्गिज अनुभाग के लंबे समय से सदस्य रहे हैं, ने इस मामले की गहरी पड़ताल की, जिससे वह भ्रष्ट शासन के लिए एक असुविधाजनक व्यक्ति बन गए। भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधियों के लिए टोक्टाकुनोव को अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा 'चैंपियन ऑफ एंटी-करप्शन' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसे विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने प्रदान किया था। सैमरा सगीनबायेवा, जो फिल्म की निर्देशक हैं, भी खतरे में थीं।
उनकी डायरी-शैली की डॉक्यूमेंट्री एक साहसी पत्रकार का चित्रण और एक ऐसे देश में लोकतंत्र और न्याय प्रणाली की नाजुकता की एक चेतावनी भरी कहानी प्रस्तुत करती है जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निश्चित नहीं है। किर्गिस्तान में हाल के वर्षों में स्वतंत्र मीडिया और नागरिक समाज पर बढ़ते दबाव को देखा गया है। "टेमिरोव लाइव" जैसे खोजी पत्रकारिता समूहों को निशाना बनाया गया है, और पत्रकारों को अक्सर राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोपों का सामना करना पड़ता है।
"पैनिक बटन" इन चुनौतियों के बीच सच्चाई को सामने लाने के लिए पत्रकारों द्वारा किए गए व्यक्तिगत बलिदानों और उनके साहस को उजागर करती है। यह फिल्म 2019 से शुरू हुए उनके पांच साल के संघर्ष को दर्शाती है, जिसमें वे लगातार खतरे में जीते रहे। फिल्म का निर्माण सैमरा सगीनबायेवा और वेरोनिका जनात्कोवा ने किया है, और इसे मीडियाहब और पंडिस्तान एस.आर.ओ. द्वारा सह-निर्मित किया गया है। यह फिल्म न केवल किर्गिस्तान में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के प्रयास किए जाते हैं, जो किसी भी लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।