अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने ब्रह्मांड के गहन रहस्यों को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति की है। जेनेवा स्थित CERN की सुपर प्रोटॉन सिंक्रोट्रॉन (SPS) त्वरक का उपयोग करते हुए, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली टीम ने प्रयोगशाला में प्लाज्मा के 'अग्निगोलक' (fireballs) का निर्माण किया है। यह अभूतपूर्व उपलब्धि 3 नवंबर, 2025 को प्रतिष्ठित जर्नल PNAS में प्रकाशित हुई थी।
इस शोध का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मांड के चुंबकीय क्षेत्रों और निम्न-ऊर्जा गामा किरणों के गायब होने की चिर-परिचित पहेली पर प्रकाश डालना है। यह प्रयोग उस मूलभूत प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास करता है कि आकाशगंगाओं के बीच से आने वाली उच्च-ऊर्जा (TeV) गामा किरणों के टकराने से उत्पन्न होने वाली अपेक्षित निम्न-ऊर्जा (GeV) गामा किरणें, फर्मी जैसे अंतरिक्ष दूरबीनों द्वारा क्यों नहीं पकड़ी जा सकीं। यह घटना खगोल भौतिकीविदों के बीच लंबे समय से एक रहस्य बनी हुई थी।
प्रयोग के दौरान, वैज्ञानिकों ने CERN की HiRadMat सुविधा का उपयोग किया, जहाँ SPS द्वारा उत्पन्न इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन युग्मों को एक मीटर लंबी प्लाज्मा से गुजारा गया। यह प्रक्रिया अंतरतारकीय अंतरिक्ष में TeV गामा किरणों से शुरू होने वाले एक कैस्केड का प्रयोगशाला में प्रतिरूपण (simulation) थी। शोधकर्ताओं ने दो मुख्य परिकल्पनाओं का परीक्षण किया: क्या बीम अस्थिरता (beam instability) के कारण किरणें बिखर जाती हैं, या क्या ब्रह्मांड के शुरुआती दौर के अवशेष चुंबकीय क्षेत्र कणों को विक्षेपित कर रहे हैं।
प्रयोग के परिणाम आश्चर्यजनक थे। टीम ने पाया कि उत्पन्न हुआ कण पुंज (pair beam) संकीर्ण और लगभग समानांतर बना रहा, जिसमें न्यूनतम विक्षोभ या स्वयं-जनित चुंबकीय क्षेत्र थे। यह अवलोकन इस विचार को बल देता है कि बीम अस्थिरता निम्न-ऊर्जा गामा किरणों के गायब होने की व्याख्या करने के लिए अपर्याप्त है। इस निष्कर्ष का निहितार्थ यह है कि अंतरतारकीय माध्यम में एक प्राचीन चुंबकीय क्षेत्र मौजूद हो सकता है, जो संभवतः ब्रह्मांड के आरंभिक काल का अवशेष है, और यही क्षेत्र इन किरणों को हमारी दृष्टि रेखा से दूर मोड़ रहा है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग से प्रोफेसर सुबीर सरकार ने उल्लेख किया कि यह परिणाम प्लाज्मा खगोल भौतिकी समुदाय में रुचि जगाएगा कि कैसे पृथ्वी पर ही उच्च ऊर्जा भौतिकी प्रयोगशालाओं में मौलिक ब्रह्मांडीय प्रश्नों की जांच की जा सकती है। इस खोज से न केवल ब्रह्मांडीय चुंबकीय क्षेत्रों के बारे में नई जानकारी मिल सकती है, बल्कि यह मानक मॉडल (Standard Model) से परे भौतिकी के संकेतों की ओर भी इशारा कर सकती है। इस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ-साथ साइंस एंड टेक्नोलॉजी फैसिलिटीज काउंसिल (STFC) की सेंट्रल लेजर फैसिलिटी और CERN के कई भागीदार शामिल थे।
