पाकिस्तान इस समय भीषण मानसून की बारिश और बाढ़ की चपेट में है, जिससे व्यापक स्तर पर जानमाल का नुकसान हुआ है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, 26 अगस्त 2025 तक पूरे देश में 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें खैबर पख्तूनख्वा सबसे अधिक प्रभावित प्रांत है।
स्थिति को और गंभीर बनाते हुए, भारत ने कश्मीर से नियंत्रित बांधों से पानी छोड़ा है। भारत ने प्रमुख बांधों के सभी गेट खोल दिए हैं, जिससे संभावित बाढ़ की चेतावनी जारी की गई है। इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान के पूर्वी पंजाब प्रांत से कम से कम 150,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच कूटनीतिक संपर्क का पहला संकेत है।
बुनर जिले में एक दुर्लभ बादल फटने की घटना में, एक घंटे के भीतर 150 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई, जिससे अचानक बाढ़ आ गई और सैकड़ों जानें चली गईं। इस मूसलाधार बारिश ने घरों और गांवों को तबाह कर दिया है, और कई लोग अभी भी लापता हैं। स्थानीय निवासियों ने अधिकारियों पर समय पर चेतावनी जारी न करने का आरोप लगाया है, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यह अचानक हुई घटना थी जिसका अनुमान लगाना मुश्किल था।
पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (PMD) ने प्रमुख नदियों में जल स्तर बढ़ने की चेतावनी जारी की है, और पंजाब के निचले इलाकों में शहरी बाढ़ का खतरा बताया है। निवासियों को सतर्क रहने और आधिकारिक निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है। भारत द्वारा बांधों से पानी छोड़े जाने की यह घटना, जो कि सिंधु जल संधि के तहत एक सामान्य प्रक्रिया है, दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और बढ़ा सकती है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को भी उजागर करती है, जो मानसून की वर्षा को और अधिक तीव्र और विनाशकारी बना रहा है। 2022 की विनाशकारी बाढ़ के बाद, पाकिस्तान एक बार फिर चरम मौसम की घटनाओं के प्रति अपनी भेद्यता का सामना कर रहा है।