इंडोनेशिया के पूर्वी नुसा तेंगारा क्षेत्र में स्थित इले लेवोटोलोक ज्वालामुखी में हाल ही में ज्वालामुखी गतिविधि में वृद्धि देखी गई है। शनिवार, 27 सितंबर, 2025 को, इस ज्वालामुखी ने 73 बार विस्फोट किया, जिसके साथ गड़गड़ाहट की आवाजें भी सुनाई दीं। सुबह 06:00 से 09:00 WITA के बीच किए गए अवलोकन से पता चला कि विस्फोटों की आयाम 4 से 20.3 मिमी तक थी और अवधि 40 से 53 सेकंड तक रही। इन विस्फोटों से 100-400 मीटर की ऊंचाई तक सफेद और भूरे रंग के राख के बादल निकले।
यह ज्वालामुखी वर्तमान में लेवल III (सियागा/अलर्ट) स्थिति पर बना हुआ है। स्थानीय निवासियों को सलाह दी गई है कि वे विस्फोट केंद्र से कम से कम 3 किलोमीटर की दूरी बनाए रखें। अधिकारी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और शमन उपायों को लागू कर रहे हैं। इंडोनेशिया, जो 'रिंग ऑफ फायर' पर स्थित है, अपनी उच्च भूकंपीय और ज्वालामुखी गतिविधि के लिए जाना जाता है। देश में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं, और भूवैज्ञानिक एजेंसी लगातार इन पर नज़र रखती है।
हाल के वर्षों में, माउंट लेवोटोबी लाकी-लाकी और माउंट मेरापी जैसे ज्वालामुखियों में भी महत्वपूर्ण गतिविधि देखी गई है, जिससे उड़ानों में व्यवधान और स्थानीय समुदायों के लिए निकासी की आवश्यकता पड़ी है। उदाहरण के लिए, 7 जुलाई, 2025 को माउंट लेवोटोबी लाकी-लाकी के विस्फोट ने 11 मील ऊंची राख का बादल छोड़ा, जिससे उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। भूवैज्ञानिक एजेंसी ने 2023 में 160 भूवैज्ञानिक आपदा निगरानी प्रणालियों का आधुनिकीकरण किया है, जिसमें भूकंपीय सेंसर, जीपीएस और थर्मल कैमरे शामिल हैं, ताकि ज्वालामुखी विस्फोटों के प्रभाव को कम किया जा सके। यह उन्नत निगरानी प्रणाली त्वरित डेटा विश्लेषण और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करती है, जो ऐसे सक्रिय ज्वालामुखीय क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इन प्रयासों के बावजूद, ज्वालामुखी विस्फोटों से जुड़े जोखिम बने रहते हैं, जैसा कि 2025 में माउंट इले लेवोटोलोक की लगातार गतिविधि से स्पष्ट है। स्थानीय समुदायों को इन जोखिमों के प्रति जागरूक रहने और अधिकारियों द्वारा जारी किए गए सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।