समुद्री तारों में एक विनाशकारी बीमारी, जिसे सी स्टार वेस्टिंग डिजीज (SSWD) के नाम से जाना जाता है, ने प्रशांत तट के किनारे सूरजमुखी समुद्री तारों की आबादी को तबाह कर दिया है। हाल के शोध में इस बीमारी के प्राथमिक कारण के रूप में विब्रियो पेक्टेनिसिडा (Vibrio pectenicida) नामक जीवाणु की पहचान की गई है। यह खोज, जो नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन (Nature Ecology & Evolution) में प्रकाशित हुई है, इन महत्वपूर्ण समुद्री अकशेरुकी जीवों पर बीमारी के प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
सूरजमुखी समुद्री तारा, जो कभी समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का एक प्रमुख सदस्य था और केल्प जंगलों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, अब SSWD के कारण अपनी आबादी के 90% से अधिक के नुकसान का सामना कर रहा है। इस नाटकीय गिरावट के परिणामस्वरूप समुद्री अर्चिन की आबादी में अनियंत्रित वृद्धि हुई है, जिसने बदले में केल्प के घने जंगलों को नष्ट कर दिया है, जिससे पूरे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में उथल-पुथल मच गई है। 2013 में शुरू हुई इस महामारी ने उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर 20 से अधिक समुद्री तारा प्रजातियों को प्रभावित किया है, जिससे अनुमानित 5.75 अरब समुद्री तारों की मृत्यु हुई है। सूरजमुखी समुद्री तारे विशेष रूप से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं, जिनकी आबादी में 90% से अधिक की गिरावट आई है, जिससे वे गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति बन गए हैं।
इस संकट के जवाब में, संरक्षण के प्रयास जारी हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहल SAFE सनफ्लावर सी स्टार (SAFE Sunflower Sea Star) कार्यक्रम है, जो समुद्री तारों के संरक्षण और पुनर्प्राप्ति पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम के तहत, विभिन्न संस्थान जैसे कि बर्च एक्वेरियम (Birch Aquarium), कैलिफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंसेज (California Academy of Sciences), और सनफ्लावर स्टार लैब (Sunflower Star Lab) मिलकर काम कर रहे हैं। फरवरी 2024 में बर्च एक्वेरियम में तीन सूरजमुखी समुद्री तारों के सफलतापूर्वक स्पॉनिंग (spawning) की खबर आशा की एक किरण प्रदान करती है। यह प्रयास प्रजातियों की रिकवरी और समुद्री पर्यावरण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की बहाली के लिए महत्वपूर्ण है।
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला प्रयोगों के माध्यम से विब्रियो पेक्टेनिसिडा के घातक प्रभावों की पुष्टि की है, जिससे यह उम्मीद जगी है कि इस जीवाणु के प्रसार और प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा। यह खोज समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को बहाल करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि सूरजमुखी समुद्री तारे समुद्री अर्चिन की आबादी को नियंत्रित करके केल्प जंगलों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन समुद्री तारों के बिना, समुद्री अर्चिन की संख्या बढ़ जाती है और वे केल्प को खा जाते हैं, जिससे केल्प के जंगल नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार, सूरजमुखी समुद्री तारों का संरक्षण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।