पनामा के कोरल में बढ़ी हुई गर्मी सहनशीलता: अनोखे माइक्रोबायोम का कमाल

द्वारा संपादित: Inna Horoshkina One

पनामा के स्मिथसोनियन ट्रॉपिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (STRI) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि पोसिलोपोरा (Pocillopora) प्रजाति के कोरल में गर्मी के तनाव को झेलने की जो क्षमता होती है, उसमें उनके माइक्रोबायोम (सूक्ष्मजीवों का समुदाय) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह शोध जून 2025 में 'करंट बायोलॉजी' नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। अध्ययन में पनामा के प्रशांत तट से कोरल के नमूनों की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि पनामा की खाड़ी में अपवेलिंग (गहरे समुद्र से ठंडे पानी का सतह पर आना) के संपर्क में आने वाले कोरल में, उनके माइक्रोबायोम की बदौलत, गर्मी के प्रति अधिक सहनशीलता विकसित हुई है।

यह अध्ययन पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में कोरल की गर्मी सहनशीलता का आकलन करने के लिए पूरे होलोबायोंट (कोरल, उसके सहजीवी शैवाल और बैक्टीरिया) का विश्लेषण करने वाला पहला अध्ययन है। पनामा की खाड़ी का वातावरण, जो अपवेलिंग के कारण तापमान में उतार-चढ़ाव और पोषक तत्वों से भरपूर होता है, कोरल की इस लचीलापन क्षमता में योगदान देता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन कोरल को अपवेलिंग का अनुभव हुआ, वे उच्च तापमान को बेहतर ढंग से सहन कर सके, जिसका एक मुख्य कारण उनका माइक्रोबायोम था। यह शोध जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कोरल के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए कोरल-होस्ट-माइक्रोबायोम इंटरैक्शन को समझने के महत्व पर प्रकाश डालता है। वैज्ञानिकों का लक्ष्य उन कोरल आबादी की पहचान करना है जो संरक्षण के लिए सबसे उपयुक्त हैं और उन लाभकारी गुणों को बढ़ाने के तरीकों का पता लगाना है जो कमजोर कोरल की मदद कर सकें। ये निष्कर्ष जलवायु-प्रेरित तनाव से बचने में कोरल माइक्रोबायोम की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं और संरक्षण रणनीतियों के लिए नए रास्ते खोलते हैं।

पनामा की खाड़ी में अपवेलिंग की प्रक्रिया, जो जनवरी से अप्रैल तक चलती है, ठंडे और पोषक तत्वों से भरपूर पानी को सतह पर लाती है, जिससे तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव होता है। इसके विपरीत, खाड़ी के पश्चिम में स्थित चिरिकि की खाड़ी में पानी का तापमान साल भर अपेक्षाकृत स्थिर रहता है। 2019 के एक अध्ययन से पता चला है कि जहां चिरिकि की खाड़ी में तापमान तेजी से बढ़ रहा है, वहीं पनामा की खाड़ी में अपवेलिंग ने कोरल को एल नीनो जैसी घटनाओं के दौरान उच्च तापमान से बचाया है, जिससे कोरल का जीवित रहना और विकास दर बेहतर हुई है। यह दर्शाता है कि अपवेलिंग क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के थर्मल प्रभावों से अस्थायी और स्थानीय शरण प्रदान कर सकते हैं। यह शोध इस बात पर भी जोर देता है कि कोरल का माइक्रोबायोम, जिसमें बैक्टीरिया, कवक और वायरस शामिल हैं, बढ़ते समुद्री तापमान को सहन करने की उनकी क्षमता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह समझ संरक्षण प्रयासों को सूचित कर सकती है, जैसे कि गर्मी के तनाव को कम करने वाले माइक्रोब से कोरल रीफ को समृद्ध करने की क्षमता। यह अध्ययन कोरल के लचीलेपन को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है और भविष्य में संरक्षण के लिए नई दिशाएं प्रदान करता है।

स्रोतों

  • Mongabay

  • Mongabay

  • Penn State University

  • Proceedings of the National Academy of Sciences

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