हालिया शोध से पता चला है कि ग्रीनलैंड के इक्लोरुट्सिट कांगिलिट सेर्मियाट (EKaS) ग्लेशियर में एक महत्वपूर्ण 'कैल्विंग मल्टीप्लायर' प्रभाव मौजूद है। यह घटना बताती है कि कैसे बर्फ के बड़े टुकड़ों के टूटने (कैल्विंग) से उत्पन्न होने वाली लहरें और धाराएं पानी के नीचे पिघलने की प्रक्रिया को तेज कर सकती हैं, जिससे ग्लेशियर के पीछे हटने की गति बढ़ जाती है। इस अध्ययन में, एक फाइबर-ऑप्टिक केबल का उपयोग करके यह पाया गया कि कैल्विंग से उत्पन्न होने वाली ये हलचलें पिघलने की प्रक्रिया को बढ़ाती हैं, जिससे एक फीडबैक लूप बनता है। यह प्रभाव विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट होता है जहां पृष्ठभूमि की धाराएं धीमी होती हैं, क्योंकि कैल्विंग से उत्पन्न होने वाली हलचल का उन पर अधिक प्रभाव पड़ता है। यह खोज मौजूदा मॉडलों को चुनौती देती है जो पानी के नीचे पिघलने की प्रक्रिया को कम आंक सकते हैं, और यह ग्लेशियर की गतिशीलता और समुद्र-स्तर में वृद्धि में उनके योगदान में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
शोधकर्ताओं ने ग्रीनलैंड के दक्षिणी भाग में इक्लोरुट्सिट कांगिलिट सेर्मियाट ग्लेशियर के पास समुद्र तल पर 10 किलोमीटर लंबी फाइबर-ऑप्टिक केबल बिछाई। इस केबल का उपयोग करके, उन्होंने कैल्विंग की घटनाओं से उत्पन्न होने वाली लहरों और धाराओं को मापा। इस तकनीक, जिसे डिस्ट्रीब्यूटेड एकॉस्टिक सेंसिंग (DAS) कहा जाता है, केबल में होने वाले खिंचाव या संपीड़न का पता लगाकर ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड करती है। डेटा से पता चला कि जब बर्फ के बड़े टुकड़े ग्लेशियर से टूटकर समुद्र में गिरते हैं, तो वे न केवल सतह पर बड़ी लहरें पैदा करते हैं, बल्कि पानी के नीचे भी शक्तिशाली लहरें उत्पन्न करते हैं। ये आंतरिक लहरें, जो कभी-कभी गगनचुंबी इमारतों जितनी ऊंची हो सकती हैं, पानी के विभिन्न घनत्व वाले स्तरों के बीच घूमती रहती हैं। ये अंतर्निहित लहरें पानी के मिश्रण को लंबे समय तक बनाए रखती हैं, जिससे ग्लेशियर की बर्फ की दीवार के पास गर्म पानी का निरंतर प्रवाह बना रहता है। यह प्रक्रिया ग्लेशियर के पानी के नीचे के हिस्से में पिघलने और कटाव को बढ़ाती है, जिससे ग्लेशियर के और अधिक टुकड़े टूटने लगते हैं। यह एक प्रकार का 'कैल्विंग मल्टीप्लायर' प्रभाव है, जहां कैल्विंग की घटना स्वयं भविष्य में और अधिक कैल्विंग को बढ़ावा देती है। यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का पिघलना वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। 1990 के दशक से, ग्रीनलैंड की बर्फ की हानि की दर सात गुना बढ़ गई है, जो प्रति वर्ष 234 बिलियन टन तक पहुंच गई है। यह नया शोध बताता है कि कैल्विंग से उत्पन्न होने वाली ये लहरें पिघलने की प्रक्रिया को और तेज कर सकती हैं, जिससे समुद्र-स्तर में वृद्धि की दर पर और अधिक प्रभाव पड़ सकता है। यह अध्ययन नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और यह दर्शाता है कि कैसे फाइबर-ऑप्टिक तकनीक जैसी नवीन विधियां ग्लेशियरों के व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जो पहले संभव नहीं था।