लंबी उम्र पाना एक ऐसा लक्ष्य है जिसमें हर कोई रुचि रखता है। लेकिन इसका रहस्य शायद महंगे उत्पादों या जटिल उपचारों में नहीं, बल्कि सरल आदतों में छिपा है। शोध बताते हैं कि अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने की क्षमता, जिसे कैथार्सिस भी कहा जाता है, लंबी उम्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐतिहासिक रूप से, महिलाओं को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अधिक प्रोत्साहित किया गया है, जिसके कारण उनकी औसत जीवन प्रत्याशा पुरुषों से अधिक रही है। हालांकि, बदलते सामाजिक मानदंडों के साथ, पुरुष भी अब अपनी भावनाओं को अधिक खुलकर व्यक्त कर रहे हैं, जिससे यह अंतर कम होने की संभावना है। अध्ययनों से पता चलता है कि सकारात्मक भावनाएं, जैसे खुशी और आशावाद, लंबी उम्र से जुड़ी हैं, जबकि लगातार नकारात्मक भावनाएं, जैसे क्रोध और अवसाद, शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं।
विशेषज्ञ शारीरिक गतिविधि के महत्व पर भी जोर देते हैं। सप्ताह में कम से कम चार बार 15-20 मिनट पैदल चलना अत्यधिक अनुशंसित है। यह गतिविधि घर पर भी की जा सकती है, बस आरामदायक कपड़े पहनना और पर्याप्त पानी पीना सुनिश्चित करें। पैदल चलना न केवल हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह हड्डियों को मजबूत बनाने, स्ट्रोक के जोखिम को कम करने और समग्र मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। अध्ययनों से पता चला है कि तेज गति से चलने वालों की मृत्यु दर धीमी गति से चलने वालों की तुलना में कम होती है। यहां तक कि सप्ताह में कुछ दिन 8,000 कदम चलना भी जीवन प्रत्याशा को बढ़ा सकता है।
एक स्वस्थ आहार का पालन करना भी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि महंगा या बहुत प्रतिबंधात्मक हो। ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि जीवन का आनंद लिया जाए और समग्र कल्याण को बढ़ावा मिले, न कि केवल वर्षों की संख्या पर। संतुलित आहार, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा शामिल हों, दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण है। संक्षेप में, अपनी भावनाओं को व्यक्त करना और नियमित रूप से चलना, ये दोनों ही स्वस्थ और लंबी जीवन जीने के सरल लेकिन शक्तिशाली तरीके हैं। यह जीवनशैली में छोटे बदलावों को अपनाकर हम अपने स्वास्थ्य और कल्याण को महत्वपूर्ण रूप से बेहतर बना सकते हैं।