दीर्घायु और नेत्र स्वास्थ्य: रक्त वाहिकाओं का पैटर्न कैसे उम्र और सेहत का राज खोलता है

द्वारा संपादित: Liliya Shabalina

कनाडा के मैकमास्टर विश्वविद्यालय (McMaster University) और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (PHRI) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोजा है जिससे वे सचमुच आंखों के माध्यम से किसी व्यक्ति की जैविक उम्र (biological age) को जान सकते हैं। यह खोज मानव स्वास्थ्य के आकलन के तरीके को बदल सकती है।

साइंस एडवांसेज (Science Advances) नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में अक्टूबर 2025 में प्रकाशित इस अभूतपूर्व शोध से पता चला है कि हमारी रेटिना में मौजूद सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं यह दर्शाती हैं कि शरीर कैसे बूढ़ा हो रहा है। इतना ही नहीं, ये वाहिकाएं हृदय संबंधी जोखिमों और समग्र जीवनकाल की भविष्यवाणी करने की क्षमता भी रखती हैं।

इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक (UK Biobank) और कैनेडियन लॉन्गीट्यूडिनल स्टडी ऑन एजिंग (CLSA) जैसे सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस से प्राप्त 30,000 से अधिक नेत्र छवियों का गहन विश्लेषण किया।

विश्लेषण के दौरान, उन्होंने 'फ्रैक्टल डाइमेंशन' (fractal dimension) नामक एक विशिष्ट माप का उपयोग किया। यह माप रेटिना में रक्त वाहिकाओं के जाल की जटिलता और उनके शाखाओं में बंटे होने के पैटर्न को दर्शाता है।

मुख्य निष्कर्ष यह था: रक्त वाहिकाओं का नेटवर्क जितना सरल और कम घना होता है, हृदय रोगों (cardiovascular diseases) का खतरा उतना ही अधिक होता है, और लंबी उम्र यानी दीर्घायु की संभावना उतनी ही कम होती है।

इस प्रकार, आंखें पूरे शरीर की संवहनी प्रणाली (vascular system) का दर्पण सिद्ध हुईं। वे एक प्रकार का 'समय मानचित्र' (Time Map) हैं जिसके द्वारा यह आंका जा सकता है कि हमारा आंतरिक तंत्र कितनी सामंजस्यपूर्ण ढंग से कार्य कर रहा है।

शोधकर्ताओं ने इस 'रेटिनल एजिंग सिग्नेचर' से जुड़े दो महत्वपूर्ण बायोमार्कर की पहचान की है:

  • एमएमपी-12 (MMP-12): यह मैट्रिक्स मेटालोप्रोटीनेज-12 (matrix metalloproteinase-12) नामक एक एंजाइम है। यह इलास्टिन को नष्ट करने और रक्त वाहिकाओं की सूजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • आईजीजी-एफसी IIबी (IgG-FcγRIIb): यह एक प्रोटीन है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) को नियंत्रित करने का कार्य करता है।

  • ये दोनों ही बायोमार्कर पुरानी सूजन (chronic inflammation) और संवहनी प्रणाली के 'घिसाव' (wear and tear) से जुड़े हुए हैं। जब इनकी गतिविधि बढ़ जाती है, तो रक्त वाहिकाएं अपनी लोच खो देती हैं, और यह परिवर्तन आंखों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है।

    जैविक उम्र का आकलन करने के लिए अब तक जटिल रक्त परीक्षणों या आनुवंशिक परीक्षणों की आवश्यकता होती थी। लेकिन अब शोधकर्ता यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि केवल आंखों की जांच पर्याप्त हो सकती है।

    रेटिना स्कैनिंग एक गैर-आक्रामक (non-invasive), दर्द रहित और त्वरित प्रक्रिया है। यह विधि हृदय रोगों के जोखिम और उम्र से संबंधित बीमारियों की शीघ्र पहचान करने का एक नया और प्रभावी तरीका बन सकती है।

    लेखकों ने निष्कर्ष निकाला, “आंखें न केवल आत्मा का दर्पण हैं, बल्कि वे शरीर के स्वास्थ्य की खिड़की भी हैं।”

    ये निष्कर्ष उस प्राचीन समझ की पुष्टि करते हैं कि मनुष्य में सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है। हमारी आंखें केवल आंतरिक प्रकाश को ही नहीं दर्शातीं, बल्कि यह भी बताती हैं कि हम कैसे जी रहे हैं, अपनी देखभाल कैसे कर रहे हैं, और हमारे शरीर तथा भावनाओं में कितना संतुलन है।

    हमारी हर सचेत आदत—चाहे वह टहलना हो, गहरी साँस लेना हो, पौष्टिक भोजन हो, या मधुर वचन—हमारे रक्त वाहिकाओं, हृदय और अंततः हमारी आँखों में दिखने वाले पैटर्न को प्रभावित करती है।

    आधुनिक विज्ञान तेजी से उस बात की पुष्टि कर रहा है जो प्राचीन परंपराएं सहज रूप से जानती थीं: स्वास्थ्य और दीर्घायु आंतरिक संतुलन का प्रतिबिंब हैं। जब जीवन में अधिक शांति, प्रेम और सकारात्मकता आती है, तो हमारी आंखों की वाहिकाएं भी एक अलग, स्वस्थ 'पैटर्न' चित्रित करती हैं।

    स्रोतों

    • ana.ir

    • جدیدترین تکنولوژی تحلیل تصویر شبکیه برای تشخیص بیماری

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