अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नाटो (NATO) के सदस्य देशों से रूस से तेल की खरीद तुरंत बंद करने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि इस कदम से यूक्रेन में जारी संघर्ष का अंत शीघ्र हो सकता है। ट्रम्प ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध को समाप्त करने में गठबंधन की प्रतिबद्धता "100% से काफी कम" रही है और कुछ सदस्य देशों द्वारा रूसी तेल का आयात जारी रखना "चौंकाने वाला" है, क्योंकि यह रूस के खिलाफ गठबंधन की सौदेबाजी की शक्ति को कमजोर करता है।
यह आह्वान हाल ही में पोलैंड के हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन की घुसपैठ के बाद बढ़े तनाव के बीच आया है। पोलैंड ने अपनी वायु रक्षा प्रणालियों को सक्रिय किया और कई रूसी ड्रोनों को मार गिराया, जिसे उसने रूस द्वारा एक "अभूतपूर्व आक्रामकता का कार्य" बताया। इस घटना के जवाब में, नाटो ने ऑपरेशन "ईस्टर्न सेंट्री" के तहत अपनी रक्षात्मक मुद्रा को मजबूत किया है, जिसमें फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क और नीदरलैंड जैसे देशों ने अतिरिक्त विमान और वायु रक्षा संपत्तियां तैनात की हैं। पोलैंड के अधिकारियों ने ट्रम्प के इस सुझाव को दृढ़ता से खारिज कर दिया कि ड्रोन घुसपैठ एक "गलती" हो सकती थी, और इसे रूस द्वारा नाटो की प्रतिक्रिया क्षमताओं का परीक्षण करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।
ट्रम्प ने चीन द्वारा रूसी पेट्रोलियम की खरीद पर 50% से 100% तक के भारी टैरिफ लगाने का भी प्रस्ताव दिया है, यह तर्क देते हुए कि चीन का रूस पर प्रभाव इन उपायों से कम किया जा सकता है। उन्होंने पहले ही भारत पर रूसी ऊर्जा उत्पादों की खरीद के कारण 25% का आयात कर लगाया है।
वर्तमान में, तीन नाटो सदस्य देश - तुर्की, हंगरी और स्लोवाकिया - रूस से तेल का आयात जारी रखे हुए हैं। तुर्की, चीन और भारत के बाद, रूसी तेल का तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक खरीदार है। यह देश रियायती कीमतों का लाभ उठाता है और रूसी कच्चे तेल को परिष्कृत करके यूरोप को ईंधन उत्पाद बेचता है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। कुछ तुर्की रिफाइनरियां अपनी 90% तक की कच्चे तेल की जरूरत रूस से पूरी करती हैं। हंगरी और स्लोवाकिया, जो यूक्रेन के साथ सीमा साझा करते हैं, ऐतिहासिक रूप से रूसी तेल और गैस पर निर्भर रहे हैं और ड्रुज्बा पाइपलाइन के माध्यम से आपूर्ति प्राप्त करते हैं, जिसके लिए उनके पास सीमित वैकल्पिक बुनियादी ढांचा है। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्तो ने कहा है कि हंगरी के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है और वह खुले तौर पर रूसी तेल खरीद रहा है, जबकि अन्य यूरोपीय देश अप्रत्यक्ष माध्यमों से खरीद कर रहे हैं। हंगरी और स्लोवाकिया के नेताओं के ट्रम्प के साथ अच्छे संबंध हैं और वे यूरोपीय संघ के दबाव का विरोध कर रहे हैं। यूरोपीय संघ ने 2027 तक रूसी ऊर्जा आयात को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की योजना बनाई है, लेकिन पोलैंड ने हाल की घटनाओं को देखते हुए इसे 2026 के अंत तक पूरा करने का आग्रह किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नाटो देशों द्वारा रूसी तेल निर्यात को पूरी तरह से बंद करने से मॉस्को की युद्ध वित्तपोषण क्षमताओं को एक महत्वपूर्ण झटका लगेगा, हालांकि रूस निर्यात को अन्य खरीदारों की ओर मोड़ने में सक्षम हो सकता है। तुर्की जैसे देशों के लिए, रूसी तेल पर निर्भरता को तुरंत समाप्त करना एक चुनौती होगी, क्योंकि उनकी रिफाइनरियां रूसी कच्चे तेल के लिए अनुकूलित हैं और वैकल्पिक स्रोतों में महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी। यह स्थिति वैश्विक ऊर्जा बाजारों और भू-राजनीतिक गठबंधनों की जटिलता को दर्शाती है, जहां आर्थिक हित और सुरक्षा चिंताएं एक साथ टकराती हैं। ट्रम्प का आह्वान नाटो के भीतर एकता और रूस के प्रति एक मजबूत, एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर देता है, जो यूक्रेन में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।