गाजा में जारी संघर्ष के बीच, यूरोपीय देशों ने इज़राइल के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की है, जिससे फ्रांस और इज़राइल के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है। उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के राजनीतिक नेताओं ने यूके के प्रधान मंत्री कीर स्टारर से इज़राइल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। उनकी मांगों में तत्काल युद्धविराम, इज़राइल को हथियारों की बिक्री पर रोक और गाजा में कथित युद्ध अपराधों की स्वतंत्र जांच शामिल है। गाजा में मानवीय संकट, जिसमें बड़ी संख्या में नागरिक हताहत और विस्थापन शामिल है, को इन कार्रवाइयों के पीछे एक प्रमुख कारण के रूप में उजागर किया गया है।
इस बीच, फ्रांस और इज़राइल के बीच कूटनीतिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। इज़राइल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने कथित तौर पर फ्रांस के यरुशलम स्थित वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया है। यह कदम फ्रांस द्वारा फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता के जवाब में उठाया गया है, जिसे इज़राइल ने अपने राजनयिक संबंधों के लिए हानिकारक और एक अवज्ञाकारी कार्य माना है। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने इस कदम पर चिंता व्यक्त की है, यह कहते हुए कि इससे द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है और एक मजबूत प्रतिक्रिया को उकसा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, नॉर्वे के सॉवरेन वेल्थ फंड ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में काम करने वाली छह इज़राइली कंपनियों से विनिवेश करने की घोषणा की है। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के प्रति नॉर्वे की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो कब्जे वाले क्षेत्रों में इज़राइली गतिविधियों पर बढ़ती यूरोपीय जांच को रेखांकित करता है। नॉर्वे के फंड ने हाल ही में 11 इज़राइली कंपनियों से भी विनिवेश किया था, जो इस क्षेत्र में एक व्यापक प्रवृत्ति का संकेत देता है।
गाजा में मानवीय स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिसमें 207,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए या घायल हुए हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक है। 10,000 से अधिक लोग लापता हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
यह घटनाक्रम यूरोपीय देशों के बीच एक व्यापक रुख को दर्शाता है, जो संघर्ष के प्रति अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को आकार दे रहा है। प्रतिबंधों की मांग, राजनयिक तनाव और विनिवेश के कदम इस बात का संकेत देते हैं कि यूरोप गाजा संघर्ष के मानवीय और राजनीतिक आयामों को अधिक गंभीरता से ले रहा है। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जटिलता और मानवीय संकटों के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को भी उजागर करती है।