यूक्रेन द्वारा ड्रुज़्हा तेल पाइपलाइन पर किए गए कथित हमले के बाद हंगरी ने रूस से आने वाली तेल आपूर्ति को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इस घटना ने यूरोपीय ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। हंगरी के विदेश मंत्री, पीटर सिज्जार्तो ने इस हमले को "उकसावे वाला और अस्वीकार्य" बताया है।
यह घटना 13 अगस्त को ब्रायंस्क क्षेत्र में एक वितरण स्टेशन पर हुए हमले के बाद हुई, जिसने हंगरी और स्लोवाकिया दोनों के लिए तेल की आपूर्ति बाधित कर दी थी। ड्रुज़्हा पाइपलाइन, जिसका नाम रूसी भाषा में "मित्रता" है, 1960 के दशक से पूर्वी और मध्य यूरोपीय देशों के लिए रूसी कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है। यह पाइपलाइन लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी है और रूस के समारा से जर्मनी, पोलैंड, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और हंगरी तक फैली हुई है।
यूक्रेन के विदेश मंत्री, एंड्री सिबिहा ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस ने युद्ध शुरू किया है और इसे समाप्त करने से इनकार कर रहा है। उन्होंने हंगरी पर रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता कम करने के लिए पर्याप्त कदम न उठाने का आरोप लगाया और हंगरी को अपनी शिकायतें मॉस्को भेजने का सुझाव दिया। यूरोपीय आयोग ने भी इस मामले पर हंगरी और स्लोवाकिया से संपर्क में होने की पुष्टि की है और ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया है।
यह घटना यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के ऊर्जा क्षेत्र पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव को दर्शाती है। यूक्रेन ने हाल के हफ्तों में रूसी ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर हमलों में वृद्धि की है, जो क्रेमलिन के युद्ध प्रयासों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। अगस्त 2025 में हुए हमलों ने मध्य यूरोप को रूसी तेल निर्यात में 30% की कमी ला दी, जिससे आपातकालीन तेल भंडार का उपयोग करना पड़ा और क्षेत्रीय ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि हुई।
हंगरी, जो अपनी लगभग 80% कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए ड्रुज़्हा पाइपलाइन पर निर्भर है, विशेष रूप से प्रभावित हुआ है। इस बीच, कजाकिस्तान के तेल निर्यात को भी जर्मनी तक पहुंचाने वाली ड्रुज़्हा पाइपलाइन में यूक्रेनी हमलों के कारण थोड़ी रुकावट आई थी, हालांकि आपूर्ति जल्द ही बहाल कर दी गई थी। इस घटना ने जर्मनी की ऊर्जा निर्भरता में कजाकिस्तान के बढ़ते महत्व को उजागर किया, खासकर तब से जब जर्मनी ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है। यह स्थिति यूरोपीय ऊर्जा बाजार की नाजुकता और भू-राजनीतिक तनावों के कारण आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान की संभावना को रेखांकित करती है।