नई दिल्ली: भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी मानवाधिकार रिपोर्ट को "गहराई से पक्षपातपूर्ण" और "भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की खराब समझ" का प्रतिबिंब बताते हुए खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने गुरुवार को एक साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत ऐसे किसी भी आकलन को महत्व नहीं देता है और समावेशी शासन और विकास के माध्यम से अपने लोगों के मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अमेरिकी रिपोर्ट, जो 12 अगस्त को जारी की गई थी, ने 2024 में भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर प्रकाश डाला था, जिसमें मणिपुर में जातीय संघर्ष और सरकारी अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में "न्यूनतम विश्वसनीय कदम" उठाने का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, मनमानी गिरफ्तारियां और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध जैसी चिंताओं को भी उठाया गया था। एमईए के प्रवक्ता ने इन निष्कर्षों को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत संस्थागत तंत्र की उपेक्षा करने वाला बताया।
इस बीच, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में, भारत रूसी तेल के आयात को कम करने की संभावना तलाश रहा है ताकि निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। यह कदम अमेरिकी टैरिफ के कारण उत्पन्न व्यापारिक तनाव को दर्शाता है, जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित किया है। हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच रक्षा खरीद पर चर्चा जारी है। हाल की रिपोर्टों के विपरीत, रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका के साथ रक्षा खरीद की प्रक्रियाएं जारी हैं और किसी भी तरह की रुकावट की खबरें "झूठी और मनगढ़ंत" हैं। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई है, और दोनों देश इस क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एक अमेरिकी रक्षा नीति टीम अगस्त के मध्य में दिल्ली का दौरा करने वाली है, और 'युद्ध अभ्यास' नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास भी इस महीने के अंत में अलास्का में आयोजित होने वाला है। भारत और अमेरिका एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं, जो साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत लोगों से लोगों के संबंधों पर आधारित है। हाल के व्यापारिक तनावों के बावजूद, दोनों देश इस साझेदारी को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। भारत अपनी निर्यात रणनीतियों में विविधता ला रहा है और मौजूदा व्यापार समझौतों का लाभ उठा रहा है, साथ ही नए साझेदारों के साथ अवसर तलाश रहा है। यह दर्शाता है कि भारत भू-राजनीतिक दबावों के बीच भी अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों को साधने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल 190 बिलियन डॉलर से अधिक था, जिसमें अमेरिका को भारत का निर्यात जुलाई में लगभग 20% बढ़कर 8.01 बिलियन डॉलर हो गया था। यह दर्शाता है कि व्यापारिक चुनौतियां मौजूद होने के बावजूद, आर्थिक संबंध मजबूत बने हुए हैं।