20 अफ्रीकी देशों का ऐतिहासिक जमावड़ा: काहिरा में खाद्य सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा

द्वारा संपादित: gaya ❤️ one

काहिरा, मिस्र - 1 सितंबर, 2025

अफ्रीकी महाद्वीप के सामने मौजूद खाद्य सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से, 20 अफ्रीकी देशों का एक ऐतिहासिक जमावड़ा काहिरा में शुरू हुआ। यह महत्वपूर्ण बैठक 1 से 3 सितंबर, 2025 तक चलेगी, जिसमें अफ्रीकी संघ के नेतृत्व में सदस्य देशों के प्रतिनिधि, विकास और वित्तपोषण संस्थानों के अधिकारी शामिल होंगे। इस सम्मेलन का मुख्य एजेंडा महाद्वीप की खाद्य असुरक्षा की गंभीर समस्या पर गहन विचार-विमर्श करना है, जो लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है।

अफ्रीकी संघ के राष्ट्रपति के प्रतिनिधि और विदेश मंत्रालय के सलाहकार, राजी एल-एट्रिबी ने उद्घाटन सत्र में इस बात पर जोर दिया कि बढ़ती खाद्य कीमतें, बीमारियों का प्रसार और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अफ्रीकी देशों के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। उन्होंने महाद्वीप की वर्तमान स्थिति को "मानवीय तबाही" करार दिया और तत्काल मानवीय और खाद्य सहायता की आवश्यकता पर बल दिया। मिस्र के वित्त मंत्री अहमद कौजौक ने वैश्विक मंचों पर विकासशील देशों, विशेष रूप से अफ्रीकी देशों की आवाज़ को बुलंद करने में मिस्र की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा केवल एक मानवीय चिंता नहीं है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिरता का भी मामला है। उन्होंने चेतावनी दी कि बढ़ती खाद्य कीमतें और कमी सामाजिक सामंजस्य को कमजोर कर सकती है, सार्वजनिक वित्त पर दबाव डाल सकती है और सतत विकास की दिशा में प्रगति को बाधित कर सकती है।

मिस्र सरकार खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत, अपने सामान्य बजट का 20% सालाना आवंटित करती है, जिसमें छोटे किसानों का समर्थन और "तक़ाफ़ुल और करम" जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम शामिल हैं, जो लाखों नागरिकों को लाभान्वित करते हैं। जलवायु परिवर्तन अफ्रीकी कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। तापमान में वृद्धि और वर्षा के पैटर्न में बदलाव से फसल की पैदावार में कमी आ सकती है, जिससे खाद्य असुरक्षा और बढ़ सकती है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उप-सहारा अफ्रीका में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से फसल की पैदावार में 10% की कमी आ सकती है, और यदि यह वृद्धि 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचती है, तो मक्का, बाजरा और ज्वार के लिए वर्तमान में उपयुक्त सभी क्षेत्र अनुपयुक्त हो जाएंगे। इसके अलावा, अफ्रीका के 95% से अधिक किसान सिंचाई पर निर्भर नहीं हैं, जिससे वे पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर रहते हैं।

इस सम्मेलन में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय आर्थिक व विकास रणनीतियों, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और आर्थिक स्थिरता पर व्यापक रिपोर्टों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही, खाद्य सुरक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए नवीन और प्रभावी तकनीकी समाधान विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह बैठक जोहान्सबर्ग में 22-23 नवंबर, 2025 को होने वाले शिखर सम्मेलन के परिणामों पर भी चर्चा करेगी, जो महाद्वीप के सतत विकास और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आयोजन अफ्रीकी देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने और साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

स्रोतों

  • اليوم السابع

  • المصري اليوم

क्या आपने कोई गलती या अशुद्धि पाई?

हम जल्द ही आपकी टिप्पणियों पर विचार करेंगे।