कैलिफ़ोर्निया, जो पानी की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है, अपनी तरह की पहली सबसी डेसलिनेशन परियोजना, वाटर फार्म 1 (WF1) के साथ एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। यह महत्वाकांक्षी पहल प्रशांत महासागर के पानी को पीने योग्य पानी में बदलने का वादा करती है, जिससे राज्य की जल सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
ओशनवेल नामक एक जल प्रौद्योगिकी कंपनी, लास विरजीनिस म्युनिसिपल वाटर डिस्ट्रिक्ट (LVMWD) और छह अन्य कैलिफ़ोर्निया जल एजेंसियों के साथ मिलकर इस परियोजना का नेतृत्व कर रही है। वाटर फार्म 1 का लक्ष्य 2030 तक प्रतिदिन 60 मिलियन गैलन तक ताज़ा पानी का उत्पादन करना है। यह परियोजना पश्चिमी लॉस एंजिल्स काउंटी के लगभग 70,000 निवासियों को प्रारंभिक आपूर्ति प्रदान करेगी, और बाद में बर्बैंक जैसे दूर के शहरों को भी पानी उपलब्ध कराएगी। बर्बैंक को मेट्रोपॉलिटन वाटर डिस्ट्रिक्ट ऑफ सदर्न कैलिफ़ोर्निया (MWD) के नेटवर्क के माध्यम से एक विनिमय प्रणाली द्वारा पानी मिलेगा।
इस परियोजना की नवीनता इसके सबसी सिस्टम में निहित है। ओशनवेल के मॉड्यूलर सबसी पॉड्स को समुद्र तल पर लगभग 1,300 फीट (400 मीटर) की गहराई पर तैनात किया जाएगा। इस गहराई पर मौजूद जबरदस्त दबाव रिवर्स ऑस्मोसिस प्रक्रिया को संचालित करने में मदद करता है, जिससे पानी को फ़िल्टर किया जाता है। यह तकनीक न केवल नमक को हटाती है, बल्कि माइक्रोप्लास्टिक्स, बैक्टीरिया, वायरस और PFAS जैसे दूषित पदार्थों को भी फ़िल्टर करती है। ओशनवेल का दावा है कि यह विधि पारंपरिक डेसलिनेशन संयंत्रों की तुलना में ऊर्जा की खपत को 40% तक कम करती है और समुद्री जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को भी कम करती है। कंपनी का लाइफसेफ™ सिस्टम समुद्री जीवन को नुकसान से बचाता है और मजबूत ब्राइन (खारे पानी का घोल) का उत्पादन नहीं करता है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा होती है।
मार्च 2025 में पायलट प्रोजेक्ट के सफल समापन के बाद, परियोजना अब अंतिम संयंत्र डिजाइन को परिष्कृत करने के लिए पर्यावरणीय और सामुदायिक समूहों द्वारा मूल्यांकन के अधीन है। ओशनवेल के सीईओ, रॉबर्ट बर्गस्ट्रॉम ने इस बात पर जोर दिया कि कैलिफ़ोर्निया को पानी के नए स्रोतों की तत्काल आवश्यकता है, और वाटर फार्म 1 इस आवश्यकता को पूरा करने का एक जिम्मेदार और किफायती तरीका प्रदान करता है। यह परियोजना राज्य की जल सुरक्षा को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन तथा पानी की कमी की चुनौतियों का सामना करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह नवाचार अन्य जल-तनावग्रस्त क्षेत्रों के लिए एक मॉडल के रूप में भी काम कर सकता है।