29 अगस्त, 2025 को घाना की राजधानी अकरा में एक ऐतिहासिक पैन-अफ्रीकी रैली का आयोजन किया गया, जिसमें महाद्वीप के लिए कर्ज माफी और व्यापार न्याय की जोरदार मांग की गई। उपराष्ट्रपति प्रोफेसर नाना जेन ओपोकू-अगमंग के नेतृत्व में, इस आयोजन ने अफ्रीका के आर्थिक भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित किया। यह रैली आईटीयूसी-अफ्रीका और घाना ट्रेड यूनियन कांग्रेस के तत्वावधान में आयोजित की गई थी, जो अफ्रीकी देशों पर बढ़ते कर्ज के बोझ के खिलाफ एकजुट आवाज उठाने के लिए विभिन्न नागरिक समाज संगठनों, श्रमिक संघों, युवा और महिला समूहों को एक साथ लाई।
यह रैली अफ्रीकी देशों पर छाए कर्ज के संकट की गंभीरता को उजागर करती है। 2024 तक, अफ्रीका का संप्रभु ऋण बढ़कर 2.14 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था, जिससे 22 देश गंभीर संकट के कगार पर थे और चार देश पहले ही चूक चुके थे: चाड, इथियोपिया, घाना और जाम्बिया। चिंताजनक रूप से, सात अफ्रीकी देश शिक्षा पर खर्च करने की तुलना में ऋण सेवा पर अधिक खर्च कर रहे हैं, जबकि 25 देश स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च से अधिक ऋण ब्याज का भुगतान कर रहे हैं। यह स्थिति महाद्वीप के विकास की राह में एक बड़ी बाधा है, जो दशकों के शोषण और अनुचित वित्तीय प्रणालियों का परिणाम है। इस संदर्भ में, अफ्रीकी संघ (एयू) का 2025 का विषय 'अफ्रीकी और अफ्रीकी मूल के लोगों के लिए प्रतिकारी न्याय' इस मांग को और बल देता है।
रैली का एक प्रमुख आकर्षण अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) के भीतर श्रम और सामाजिक सुरक्षा उपायों को एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर देना था। प्रतिभागियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि व्यापार को केवल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के बजाय उचित रोजगार के अवसर प्रदान करने चाहिए। यह चिंता व्यक्त की गई कि यदि पर्याप्त श्रम और सामाजिक सुरक्षा उपायों को शामिल नहीं किया गया, तो AfCFTA असमानता को बढ़ा सकता है। इस चिंता को व्यक्त करते हुए, कई ट्रेड यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अपर्याप्त सुरक्षा उपाय महाद्वीपीय व्यापार समझौते में मौजूदा पैटर्न को दोहरा सकते हैं।
आयोजकों ने इस रैली को केवल एक विरोध प्रदर्शन के रूप में नहीं, बल्कि एक सामूहिक कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य महाद्वीप के लिए एक नई वित्तीय व्यवस्था की वकालत करना है जो सतत ऋण सेवा के बजाय विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दे। इस आयोजन में प्रतीकात्मक कार्य भी शामिल थे, जैसे कि कर्ज के बंधनों से अफ्रीका की मुक्ति को दर्शाने के लिए एक श्रृंखला तोड़ने का समारोह। यह इस बात का प्रतीक था कि अफ्रीका अब आधुनिक नव-औपनिवेशिक शोषण की प्रणाली को स्वीकार नहीं करेगा, जहां इसके प्रचुर प्राकृतिक संसाधन अफ्रीकी हितों के बजाय अन्य हितों की पूर्ति के लिए व्यवस्थित रूप से लूटे जाते हैं। कुछ विश्लेषकों ने अफ्रीका के ऋण को 'नव-दासता' करार दिया है, जो वैश्विक वित्तीय संस्थानों द्वारा नियंत्रित एक जानबूझकर बनाया गया नियंत्रण तंत्र है।
यह रैली अफ्रीका के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करती है, जो आर्थिक संप्रभुता और न्याय की दिशा में एक साहसिक कदम है। यह इस बात पर जोर देता है कि कर्ज माफी केवल एक वित्तीय हस्तांतरण नहीं है, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय के समाधान और एक ऐसे वैश्विक वित्तीय ढांचे के पुनर्निर्माण का एक आवश्यक हिस्सा है जो महाद्वीप के लोगों की सेवा करता है। यह आयोजन अफ्रीका की सामूहिक इच्छाशक्ति और अपने भविष्य को अपने हाथों में लेने के दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।