9 अगस्त, 2025 को तुर्की ने अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच अमेरिका-मध्यस्थता वाले शांति समझौते का पुरजोर समर्थन किया, जिस पर 8 अगस्त, 2025 को हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा 'ट्रम्प रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी' (TRIPP) पारगमन गलियारे का निर्माण है। यह गलियारा अज़रबैजान को उसके नखचिवान एक्सक्लेव से जोड़ेगा और तुर्की तक विस्तारित होगा, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। यह समझौता वाशिंगटन डी.सी. में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, अज़रबैजानी राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन की उपस्थिति में संपन्न हुआ। तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान ने इस गलियारे को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बताया, जो तुर्की के माध्यम से यूरोप और एशिया को जोड़ सकता है। यह विकास अज़रबैजान की 2023 में नागोर्नो-कराबाख पर सैन्य जीत के बाद हुआ है।
ईरान ने इस गलियारे को लेकर चिंता व्यक्त की है, विशेष रूप से विदेशी हस्तक्षेप और संभावित सुरक्षा निहितार्थों के बारे में, जिसके कारण उसने सैन्य अभ्यास भी किए हैं। ईरान के विदेश मंत्रालय ने समझौते का स्वागत किया लेकिन कहा कि किसी भी विदेशी हस्तक्षेप से क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को खतरा हो सकता है। रूस ने भी इस सौदे का स्वागत किया है, लेकिन क्षेत्रीय हितधारकों की भागीदारी पर जोर दिया है और विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनी दी है। यूरोपीय देशों, जैसे स्पेन और फ्रांस, ने इस समझौते को क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया है। यह गलियारा, जिसे 'ट्रम्प रूट' के नाम से जाना जाता है, चीन और यूरोप के बीच भूमि मार्ग से यात्रा के समय को 10-15 दिनों तक कम करने का लक्ष्य रखता है। अज़रबैजान 2030 तक 50 मिलियन टन वार्षिक कार्गो क्षमता और नवीकरणीय ऊर्जा में 10 बिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य बना रहा है। अमेरिकी निजी संस्थाएं और वैश्विक फंड इस गलियारे में निवेश कर रहे हैं, जिसे 100 साल की लीज मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा। यह शांति समझौता दक्षिण काकेशस क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकता है, जो ऐतिहासिक रूप से अस्थिर रहा है। यह क्षेत्र ऊर्जा-समृद्ध है और रूस, यूरोप, तुर्की और ईरान के बीच स्थित है। इस समझौते से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने और आर्मेनिया व अज़रबैजान के बीच संबंधों के सामान्यीकरण में योगदान की उम्मीद है। हालांकि, ईरान और रूस जैसे देशों की चिंताओं को दूर करना और सभी पक्षों की शांति और सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता सुनिश्चित करना इस गलियारे की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा।