8 अगस्त, 2025 को व्हाइट हाउस में आर्मेनिया और अजरबैजान के नेताओं ने एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे नागोर्नो-कराबाख संघर्ष का अंत हुआ। इस समझौते के तहत, संयुक्त राज्य अमेरिका को ज़ांगेज़ूर कॉरिडोर के विकास के लिए विशेष 99-वर्षीय अधिकार प्राप्त हुए हैं। इस गलियारे का नाम बदलकर 'ट्रम्प रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी' (TRIPP) कर दिया गया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण, सुरक्षा सहयोग और सामान्य संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
ज़ांगेज़ूर कॉरिडोर, जो ईरान की सीमा से लगे आर्मेनियाई क्षेत्र से होकर गुजरता है, अज़रबैजान को उसके नखचिवन स्वायत्त गणराज्य से जोड़ेगा और तुर्किये के लिए एक सीधा मार्ग प्रदान करेगा। यह गलियारा एशिया और यूरोप को जोड़ने वाले 'मिडिल कॉरिडोर' या ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (TITR) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस समझौते ने दक्षिण काकेशस क्षेत्र में भू-राजनीतिक समीकरणों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। अमेरिका की इस क्षेत्र में रणनीतिक पहुंच बढ़ी है, जबकि ईरान और रूस के प्रभाव को चुनौती मिली है। ईरान ने इस गलियारे पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि यह उसे आर्मेनिया से अलग कर सकता है और उसकी क्षेत्रीय उपस्थिति को कम कर सकता है। रूस, जो पहले इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मध्यस्थ की भूमिका निभाता रहा है, अब अमेरिका की बढ़ती भूमिका से अप्रत्यक्ष रूप से पीछे धकेला गया है।
नागोर्नो-कराबाख संघर्ष, जो 1980 के दशक के अंत में सोवियत संघ के विघटन के बाद शुरू हुआ था, दशकों तक चला और इसमें हजारों जानें गईं और लाखों लोग विस्थापित हुए। 2020 के युद्ध के बाद अज़रबैजान ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण पुनः प्राप्त कर लिया था। इस नए समझौते से क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता की उम्मीद जगी है। यह समझौता न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा बल्कि ऊर्जा, व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी नए अवसर खोलेगा। अमेरिका ने आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों के साथ द्विपक्षीय समझौते किए हैं, जिनका उद्देश्य आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इस ऐतिहासिक क्षण ने दोनों देशों के नेताओं को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ एक मंच पर ला खड़ा किया, जिन्होंने इस शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।