हाल ही में लीक हुए दस्तावेज़ों से पता चला है कि रूस, चीन को उन्नत पैराशूट सिस्टम और उभयचर हमलावर वाहन (amphibious assault vehicles) प्रदान कर रहा है। रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) द्वारा विश्लेषण किए गए इन दस्तावेज़ों के अनुसार, यह सौदा चीन की ताइवान पर संभावित हवाई हमले की क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है। इस समझौते में प्रशिक्षण और कमांड व नियंत्रण प्रक्रियाओं का हस्तांतरण भी शामिल है, जो चीन की सैन्य क्षमता को और मजबूत करेगा।
लगभग 800 पृष्ठों के इन लीक हुए दस्तावेज़ों में बैठकों, भुगतान अनुसूचियों और उच्च-ऊंचाई वाले पैराशूट सिस्टम (जैसे डोलनोलट) और उभयचर हमलावर वाहनों की डिलीवरी की समय-सीमा का विस्तृत विवरण है। डोलनोलट प्रणाली 190 किलोग्राम तक के भार को अत्यधिक ऊंचाई से गिराने की अनुमति देती है, जिससे गुप्त घुसपैठ संभव हो सकती है। चीन ने विशेष रूप से 8,000 मीटर से ड्रॉप के लिए परीक्षण का अनुरोध किया है, जिससे 80 किलोमीटर तक ग्लाइड किया जा सके। यह सौदा पैराशूट बलों के लिए प्रशिक्षण और कमांड व नियंत्रण प्रक्रियाओं के हस्तांतरण को भी कवर करता है।
यह सैन्य सहयोग रूस और चीन के बीच गहरे होते संबंधों का एक स्पष्ट संकेत है, खासकर यूक्रेन में रूस के युद्ध के बीच। विश्लेषकों का मानना है कि रूस का उद्देश्य चीन के लिए एक प्रमुख सैन्य आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित होना और यूक्रेन युद्ध के लिए धन जुटाना है। कुछ का यह भी मानना है कि मॉस्को बीजिंग को ताइवान को लेकर वाशिंगटन के साथ संभावित संघर्ष में खींचना चाहता है, ताकि अमेरिका का ध्यान यूक्रेन से हट जाए।
चीन के लिए, रूस की हवाई ड्रॉप विशेषज्ञता और हथियार प्रणालियाँ विशेष रूप से ताइवान पर संभावित आक्रमण की तैयारी के हिस्से के रूप में मूल्यवान हैं। चीनी योजनाकार संघर्ष के शुरुआती घंटों में ताइवान में हजारों सैनिकों को पहुंचाने की अपनी योजनाओं में हेलीकॉप्टर या विमान द्वारा छोटी, अच्छी तरह से सुसज्जित इकाइयों को तैनात करने को 'अत्यंत आवश्यक' मानते हैं। रूस के पास युद्ध का अनुभव है जो चीन के पास नहीं है, और प्रशिक्षण व कमांड व नियंत्रण प्रणालियों का हस्तांतरण चीन के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान कर सकता है। यह सौदा 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने में सक्षम सैन्य शक्ति बनने के चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लक्ष्य का हिस्सा है।
हालांकि लीक हुए दस्तावेज़ ताइवान पर आक्रमण की तत्काल योजनाओं की पुष्टि नहीं करते हैं, वे निश्चित रूप से चीन की आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाते हैं। यह स्थिति क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखती है, जो भू-राजनीतिक तनावों और प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को दर्शाती है।