अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 अगस्त, 2025 को 66 देशों, यूरोपीय संघ, ताइवान और फ़ॉकलैंड द्वीपों से आयातित वस्तुओं पर 10% से 41% तक के शुल्क लगाने की घोषणा की। यह कदम व्यापार असंतुलन और ड्रग तस्करी को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया।
इन शुल्कों के लागू होने से वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता देखी गई। अमेरिकी शेयर बाजारों में गिरावट आई, और डॉलर की कीमत में कमी आई। विश्लेषकों का मानना है कि ये शुल्क कीमतों में वृद्धि और मांग में कमी के कारण आर्थिक विकास को धीमा कर सकते हैं।
भारत में, आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, वाणिज्य मंत्रालय के एक अध्ययन में पाया गया कि भारत के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप से कपड़ा और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में, जिससे रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं।
इन चुनौतियों के मद्देनजर, भारत सरकार अन्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है।