अगस्त 2025 में जर्मनी में बेरोजगारी का आंकड़ा तीन मिलियन को पार कर गया, जो पिछले एक दशक में पहली बार है। यह आंकड़ा 3,025,000 तक पहुंच गया, जिससे बेरोजगारी दर बढ़कर 6.4% हो गई। यह वृद्धि देश की आर्थिक सुस्ती का एक स्पष्ट संकेत है, जो उच्च ऊर्जा लागत, वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ नीतियों से और बढ़ गई है।
संघीय रोजगार एजेंसी (BA) की प्रमुख एंड्रिया नाहल्स ने इस वृद्धि को "गर्मी की सुस्ती" का परिणाम बताया, जहां कंपनियां छुट्टियों के बाद काम पर रखने की योजनाएं टाल देती हैं। उन्होंने कहा कि श्रम बाजार अभी भी पिछले कुछ वर्षों की कमजोर आर्थिक वृद्धि से प्रभावित है, लेकिन स्थिरीकरण के शुरुआती संकेत भी दिख रहे हैं। हालांकि, समग्र बेरोजगारी अगस्त 2024 की तुलना में 153,000 अधिक है।
जर्मन अर्थव्यवस्था इस समय ठहराव का सामना कर रही है। इस साल की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 0.3% की गिरावट दर्ज की गई है, जो लगातार दो वर्षों की मंदी के बाद आई है। औद्योगिक क्षेत्र विशेष रूप से उच्च ऊर्जा लागतों से जूझ रहा है, जबकि अमेरिकी टैरिफ नीतियों ने निर्यात को प्रभावित किया है। यदिओ इंस्टीट्यूट की रिपोर्टों के अनुसार, कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, और अगस्त में नौकरी के रिक्त पदों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 68,000 घटकर 631,000 रह गई है।
चांसलर फ्रेडरिक मेर्ज़ ने इस स्थिति को "आश्चर्यजनक नहीं" बताया और सरकार के बड़े निवेश योजनाओं पर जोर दिया। श्रम मंत्री बारबेल बास ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और यूक्रेन में युद्ध को अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालने वाले कारकों के रूप में उद्धृत किया। उन्होंने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे के लिए 500 बिलियन यूरो के विशेष कोष सहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बड़े निवेश कर रही है।
हालांकि, उद्योग जगत की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। जर्मन नियोक्ता संघों के अध्यक्ष रेनर डुल्गर ने तीन मिलियन बेरोजगारों के आंकड़े को "सुधार की उपेक्षा का शर्मनाक प्रमाण" बताया और "वास्तविक शरद ऋतु सुधारों" का आह्वान किया। उनका मानना है कि राजनीतिक निष्क्रियता और संरचनात्मक समस्याओं का समाधान आवश्यक है।
जर्मनी को कुशल श्रमिकों की कमी जैसी संरचनात्मक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। यदिओ सर्वेक्षणों से पता चलता है कि 28.1% कंपनियां योग्य कर्मचारियों को खोजने में कठिनाई का सामना कर रही हैं। यह स्थिति श्रम बाजार में विरोधाभास को उजागर करती है, जहां एक ओर बेरोजगारी बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर योग्य श्रमिकों की कमी बनी हुई है। अमेरिकी टैरिफों का प्रभाव भी चिंता का विषय है, जिससे जर्मन निर्यात में कमी आ सकती है।
सरकार आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कॉर्पोरेट कर दरों को कम करने, बुनियादी ढांचे के नवीनीकरण और नौकरशाही को कम करने की योजना बना रही है। इन उपायों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों का पूरा प्रभाव दिखने में वर्षों लग सकते हैं और गहरी संरचनात्मक समस्याओं के समाधान के लिए अतिरिक्त कदमों की आवश्यकता होगी।