जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, वैज्ञानिक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को स्थायी रूप से संग्रहीत करने के नए तरीके खोज रहे हैं। इस दिशा में, समुद्र के नीचे पाए जाने वाले बेसाल्ट (basalt) चट्टानें एक आशाजनक समाधान के रूप में उभर रही हैं। ये भूवैज्ञानिक संरचनाएं CO2 और पानी के साथ प्राकृतिक रूप से प्रतिक्रिया कर सकती हैं, जिससे गैस कुछ ही वर्षों में स्थिर कार्बोनेट खनिजों में परिवर्तित हो जाती है। इससे CO2 के रिसाव का खतरा काफी कम हो जाता है।
इंटरपोर2025 (InterPore2025) सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए शोध ने महाद्वीपीय बाढ़ बेसाल्ट में CO2 भंडारण की दक्षता और भू-यांत्रिक जोखिमों (geomechanical risks) का पता लगाया। इसी तरह, सितंबर 2025 में प्रकाशित एक अध्ययन ने बेसाल्ट को कार्बन सिंक के रूप में उपयोग करने की प्रक्रियाओं और तकनीकी प्रगति का विवरण दिया। ये निष्कर्ष बताते हैं कि समुद्र तल के नीचे विशाल बेसाल्ट भंडार, जिनकी सैद्धांतिक भंडारण क्षमता वर्तमान वैश्विक उत्सर्जन से कई गुना अधिक है, जलवायु शमन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण प्रदान कर सकते हैं।
बेसाल्ट में तेजी से होने वाली खनिजीकरण (mineralization) प्रक्रिया वायुमंडलीय CO2 को हटाने का एक स्थायी तरीका प्रस्तुत करती है। बेसाल्ट की यह क्षमता मुख्य रूप से इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसे खनिजों के कारण है। जब CO2 को पानी में घोलकर बेसाल्ट के संपर्क में लाया जाता है, तो यह कार्बोनिक एसिड बनाता है। यह एसिड बेसाल्ट के सिलिकेट खनिजों को घोलता है, जिससे ये धातु आयन (cations) निकलते हैं। ये आयन फिर CO2 के साथ प्रतिक्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3), मैग्नीशियम कार्बोनेट (MgCO3) और आयरन कार्बोनेट (FeCO3) जैसे ठोस कार्बोनेट खनिज बनाते हैं। यह प्रक्रिया CO2 को एक स्थायी और अक्रिय रूप में सुरक्षित कर देती है।
आइसलैंड में कार्बफिक्स (Carbfix) परियोजना जैसे अध्ययनों से पता चला है कि बेसाल्ट में 95% से अधिक CO2 का खनिजीकरण केवल दो वर्षों में हो सकता है, जो अवसादी चट्टानों (sedimentary reservoirs) की तुलना में काफी तेज है। हालांकि, इस तकनीक में कुछ चुनौतियां भी हैं। उदाहरण के लिए, खनिजीकरण प्रक्रिया के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता हो सकती है। इसके अतिरिक्त, बेसाल्ट संरचनाओं की विषम प्रकृति (heterogeneity) के कारण उपयुक्त स्थानों का चयन करना एक जोखिम भरा कार्य हो सकता है। भू-यांत्रिक जोखिम, जैसे कि छिद्र दबाव में वृद्धि (pore pressure buildup) और फ्रैक्चर (fracture) का बंद होना, भी भंडारण की दक्षता को प्रभावित कर सकते हैं।
इन चुनौतियों के बावजूद, बेसाल्ट के नीचे CO2 भंडारण की विशाल क्षमता इसे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान बनाती है। वैश्विक स्तर पर, समुद्र तल के नीचे बेसाल्ट का सैद्धांतिक भंडारण क्षमता सौ अरब टन (gigatons) तक होने का अनुमान है, जो वर्तमान वार्षिक वैश्विक CO2 उत्सर्जन से कई गुना अधिक है। यह क्षमता हमें भविष्य के उत्सर्जन को ऑफसेट करने और वायुमंडलीय CO2 सांद्रता को कम करने में मदद कर सकती है।