वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC), एक प्रमुख महासागरीय धारा प्रणाली, अपने पतन के कगार पर है, जो इस सदी के अंत तक वैश्विक जलवायु में बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा कर सकती है। यह विशाल "कन्वेयर बेल्ट" उष्णकटिबंधीय जल को उत्तर की ओर ले जाकर दुनिया भर के मौसम पैटर्न को नियंत्रित करती है।
AMOC अटलांटिक महासागर में समुद्री धाराओं की एक जटिल प्रणाली है, जिसे अक्सर "महासागर का कन्वेयर बेल्ट" कहा जाता है। यह प्रणाली उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से गर्म, खारे पानी को उत्तरी अटलांटिक की ओर ले जाती है। वहाँ, पानी ठंडा होकर, अधिक सघन होकर नीचे डूबता है और गहरे समुद्री धाराओं के रूप में दक्षिण की ओर लौटता है। यह प्रक्रिया पृथ्वी के ऊष्मा संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे उत्तरी यूरोप जैसे क्षेत्रों का तापमान अपेक्षाकृत हल्का रहता है। यह प्रणाली प्रति सेकंड एक पेटावाट (10^15 वाट) ऊर्जा का परिवहन करती है, जो मानव जाति की कुल ऊर्जा खपत का लगभग 50 गुना है। वर्तमान में AMOC पिछले 1,600 वर्षों में अपने सबसे कमजोर स्तर पर है।
हाल ही में 'जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: ओशन्स' में प्रकाशित एक अध्ययन ने चिंता जताई है कि AMOC 2055 तक या उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत 2063 तक अपने "टिपिंग पॉइंट" तक पहुँच सकता है, जिसके बाद इसका पतन अपरिहार्य हो सकता है। शोधकर्ताओं ने एक नए संकेतक, सतह उछाल प्रवाह (surface buoyancy flux) का उपयोग किया है, जिसने 2020 के बाद से वृद्धि दिखाई है, जो इस महत्वपूर्ण धारा के कमजोर होने का संकेत देता है। कुछ विश्लेषणों के अनुसार, यह टिपिंग पॉइंट अगले एक से दो दशकों में भी पहुँच सकता है, जिसके 50 से 100 साल बाद पतन हो सकता है। यह निष्कर्ष पहले के उन अनुमानों से अलग है जो इस सदी में तत्काल पतन की संभावना को कम मानते थे।
यदि AMOC ढह जाती है, तो इसके परिणाम विनाशकारी होंगे। यूरोप में तापमान में भारी गिरावट आएगी, जिससे सर्दियाँ अत्यधिक ठंडी और तूफानी हो जाएंगी। वर्षा में कमी से कृषि पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे यूरोपीय कृषि उत्पादकता में 30% तक की गिरावट का अनुमान है। लंदन में सर्दियों का औसत तापमान 1.9°C गिर सकता है, और चरम ठंड -19.3°C तक पहुँच सकती है, जबकि ओस्लो जैसे शहरों में यह -48°C तक जा सकती है। उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर समुद्र का जलस्तर बढ़ जाएगा। एशिया और अफ्रीका में मानसून पैटर्न बाधित होंगे, जिससे इन क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा और जल उपलब्धता पर संकट आ सकता है। वैश्विक स्तर पर, महासागरों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कम हो जाएगा, जिससे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ेगी और वैश्विक तापमान में और वृद्धि होगी। उष्णकटिबंधीय वर्षा पट्टियों में बदलाव आ सकता है, जिससे सूखे और बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाएं बढ़ेंगी।
AMOC के कमजोर होने का मुख्य कारण मानव-जनित जलवायु परिवर्तन है। ग्रीनलैंड और आर्कटिक से पिघलती बर्फ उत्तरी अटलांटिक में बड़ी मात्रा में ताज़ा पानी छोड़ रही है। यह ताज़ा पानी, जो खारे पानी की तुलना में कम सघन होता है, उस प्रक्रिया को बाधित करता है जहाँ पानी ठंडा होकर डूबता है और धारा को चलाता है। इसके अतिरिक्त, महासागरों का गर्म होना भी इस प्रणाली को प्रभावित कर रहा है।
यूरोपीय आयुक्त वोपके होकस्ट्रा ने इन निष्कर्षों को "एक गंभीर जलवायु वेक-अप कॉल" बताया है। उन्होंने उत्सर्जन में तत्काल कमी की आवश्यकता पर जोर दिया है, यह कहते हुए कि "हमारा काम केवल यूरोप में उत्सर्जन कम करना नहीं है, बल्कि दुनिया को भी इस दिशा में प्रेरित करना है।" वैज्ञानिकों का मानना है कि यह स्थिति जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की मांग करती है। यह अध्ययन वैश्विक जलवायु कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। AMOC का संभावित पतन एक ऐसी घटना है जिसे टाला जाना चाहिए, और इसके लिए जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन में भारी कटौती करना सर्वोपरि है।