जापान में ऐतिहासिक खोज: 1930 के बाद संवहनी पौधों (Vascular Plants) का पहला नया वंश

द्वारा संपादित: Anulyazolotko Anulyazolotko

कोबे विश्वविद्यालय के वनस्पतिशास्त्री केंजी सुएत्सुगु के नेतृत्व में जापानी वैज्ञानिकों के एक दल ने वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने संवहनी पौधों के एक बिल्कुल नए वंश की खोज की है, जो 1930 के बाद जापान में इस तरह की पहली खोज है। यह शोध माइकोहेटेरोट्रॉफिक प्रजातियों पर केंद्रित है—ये ऐसे पौधे हैं जिन्होंने प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को पूरी तरह से त्याग दिया है और अपनी सभी आवश्यक पोषक तत्वों को मिट्टी के कवक (फंगस) से प्राप्त करते हैं। इन 'भूतिया फूलों' (ghost flowers) को वन पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है, क्योंकि उनका अस्तित्व भूमिगत कवक नेटवर्क की स्थिरता से गहराई से जुड़ा हुआ है।

इस अत्यंत दुर्लभ घटना को चिह्नित करते हुए, वर्ष 2024 में आधिकारिक तौर पर पौधे *Relictithismia kimotsukiensis* का वर्णन किया गया। इस खोज में शामिल सलाहकार पारिस्थितिकीविद् यासुनोरी नाकामुरा ने इस खोज को 'लगभग चमत्कारी' बताया, जो ग्रह की अज्ञात जैव विविधता पर प्रकाश डालता है। नए वंश, *Relictithismia*, का नाम इसकी 'अवशेषी' (relict) स्थिति को दर्शाता है। इसका जापानी नाम 'मुजिना-नो-शोकूदई' ('बैजर का झूमर') है, जो *Thismia* वंश के साथ इसकी निकटता को इंगित करता है। जापान में संवहनी पौधों का अंतिम नया वंश 1930 में *Japonolirion* की खोज के साथ पहचाना गया था।

*R. kimotsukiensis* की रूपात्मक (morphological) विशिष्टता इसे अद्वितीय बनाती है। यह पौधा अक्सर वन कूड़े की परत के नीचे खिलता है या कभी-कभी मिट्टी की सतह से ऊपर नहीं उठता है। यह संभवतः स्व-परागण (self-pollination) से जुड़ा एक अनुकूलन है। इसकी विशिष्ट विशेषताएं, जिनमें छह मुक्त पुंकेसर (stamens) शामिल हैं जो स्त्रीकेसर (pistil stigma) के संपर्क में आते हैं, Thismiaceae परिवार के पांच पहले से ज्ञात वंशों में से किसी में भी नहीं पाई जाती हैं। यह खोज प्रारंभिक रूप से अलग हुए वंशों और *Thismia* वंश के बीच एक संभावित विकासवादी संबंध (evolutionary link) प्रस्तुत करती है।

इन दुर्लभ जीवों का भविष्य अत्यंत नाजुक है। वर्तमान में, *Relictithismia kimotsukiensis* के केवल पाँच व्यक्तियों के बारे में जानकारी है, जिसके लिए आवास के नुकसान और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध संरक्षण उपायों के तत्काल विकास की आवश्यकता है। एक अन्य संवेदनशील प्रजाति, *Monotropastrum kirishimense*, भी खतरे में है: पश्चिमी जापान में केवल 10 आबादी में 20 से भी कम व्यक्ति पाए गए हैं। कुल मिलाकर, Thismiaceae परिवार की लगभग 100 ज्ञात प्रजातियों में से लगभग आधी केवल पहली खोज के स्थान से ही ज्ञात हैं, और कभी-कभी तो केवल एक ही नमूने से। यह उनकी असुरक्षा को दर्शाता है।

सार्वजनिक भागीदारी से अनुसंधान को महत्वपूर्ण गति मिली है। उदाहरण के लिए, प्रकृति प्रेमियों ने 2021 में *Thismia kobensis* प्रजाति की पुन: खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे 1999 से विलुप्त माना जा रहा था। प्रोफेसर सुएत्सुगु, जिन्होंने पिछले दशक में 10 पहले से अज्ञात माइकोहेटेरोट्रॉफ प्रजातियों की खोज और वर्णन किया है, अब भूमिगत कवक नेटवर्क के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उनका लक्ष्य पूर्ण माइकोहेटेरोट्रॉफी में संक्रमण के पीछे की जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को समझना है, जिससे इन अद्भुत पौधों के संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।

स्रोतों

  • infobae

  • Monotropastrum kirishimense (Ericaceae), a new mycoheterotrophic plant from Japan based on multifaceted evidence - PubMed

  • An elegant new orchid hiding in plain sight | EurekAlert!

  • (PDF) Relictithismia kimotsukiensis, a new genus and species of Thismiaceae from southern Japan with discussions on its phylogenetic relationship

  • New plant species discovered in Japan may already be extinct - Earth.com

  • Researchers discover a new plant species whose name tells a story

क्या आपने कोई गलती या अशुद्धि पाई?

हम जल्द ही आपकी टिप्पणियों पर विचार करेंगे।

जापान में ऐतिहासिक खोज: 1930 के बाद संवहनी... | Gaya One