स्पेन के कैनरी द्वीप समूह में स्थित टेनेरिफ के ला लागुना क्षेत्र में कार्यरत जीवाश्म विज्ञानियों के एक दल ने हाल ही में एक ऐसी खोज की है जिसने द्वीप के भूवैज्ञानिक इतिहास को फिर से परिभाषित कर दिया है। इस दल ने वृक्षों के जीवाश्म अवशेषों का पता लगाया है, जिनकी आयु 4.5 मिलियन वर्ष से लेकर 3.2 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच निर्धारित की गई है। यह समय अवधि प्लीओसीन युग (Pliocene Epoch) के मध्य की है। ये जीवाश्म केवल साधारण अवशेष नहीं हैं, बल्कि ये तनों और शाखाओं के स्पष्ट मुद्रण हैं जो कठोर बेसाल्ट चट्टानों में समाहित हो गए हैं। यह तथ्य सीधे तौर पर इस खोज को उस प्राचीन और तीव्र ज्वालामुखी गतिविधि से जोड़ता है जिसने लाखों वर्ष पहले इस द्वीप की भौगोलिक संरचना को जन्म दिया था। यह खोज टेनेरिफ के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड स्थापित करती है, क्योंकि यह द्वीप पर अब तक दर्ज की गई सबसे पुरानी पुरावनस्पति (paleobotanical) खोज है, जो पिछली सबसे पुरानी डेटिंग से भी दस लाख वर्ष से अधिक पुरानी है।
वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए इस जीवाश्म परिसर में कुल अठारह बेलनाकार संरचनाएं शामिल हैं। इन संरचनाओं में से कुछ की लंबाई प्रभावशाली रूप से ढाई मीटर (2.5 मीटर) तक पहुँचती है। इन विशाल और सुव्यवस्थित जीवाश्मों की उपस्थिति अकाट्य रूप से यह सिद्ध करती है कि सुदूर अतीत में, इस क्षेत्र में एक व्यापक, सघन और पूर्ण रूप से विकसित वन पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद था। यह खोज हमें उस समय की कल्पना करने पर मजबूर करती है जब टेनेरिफ का परिदृश्य आज से कहीं अधिक हरा-भरा और जैव विविधता से भरपूर रहा होगा। शोधकर्ता इस बात पर ज़ोर देते हैं कि, ऐतिहासिक विद्वान विएरा-ई-क्लाविहो के प्राचीन नोट्स के आधार पर, यह अद्वितीय जीवाश्म स्थल प्राचीन वनस्पति के उन तरीकों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिनके द्वारा उन्होंने बड़े पैमाने पर हुए जलवायु परिवर्तनों के प्रति अनुकूलन किया। यह ज्ञान वर्तमान समय में वैश्विक जलवायु संकट और पारिस्थितिक चुनौतियों का सामना करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है।
इस खोज के महत्व को देखते हुए, वैज्ञानिकों ने कैनरी द्वीप समूह की सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। यह क्षेत्र दुर्भाग्यवश आधुनिक शहरी विकास और निर्माण गतिविधियों के बीच स्थित है, जिससे इन अमूल्य जीवाश्मों के नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। इसलिए, शोधकर्ताओं ने सरकार से आग्रह किया है कि वे इस पुरातात्विक स्थल की सुरक्षा के लिए तुरंत सुरक्षात्मक उपाय लागू करें और इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित करें। इस तरह के दुर्लभ और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों का संरक्षण केवल वैज्ञानिक आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह हमारी साझा वैश्विक विरासत की जिम्मेदारी भी है।
आने वाले महीनों के लिए, अनुसंधान दल ने अपनी खोज गतिविधियों का विस्तार करने की व्यापक योजना बनाई है। उनका मुख्य उद्देश्य इन असाधारण रूप से अच्छी तरह से संरक्षित प्राचीन वृक्षों की प्रजातिगत संरचना का और अधिक गहन अध्ययन करना और उनकी आयु की सटीक डेटिंग निर्धारित करना है। अतीत की इतनी गहराई में झाँकना हमें इस बात की याद दिलाता है कि भूवैज्ञानिक शक्तियाँ निरंतर विनाश और पुनरुत्थान के चक्र को चलाती रहती हैं। उदाहरण के लिए, लगभग 733 हजार साल पहले हुए एक शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट ने टेनेरिफ के दक्षिणी भाग से भूमि के एक बड़े खंड को अलग कर दिया था। यह खोज न केवल प्राचीन जीवन की झलक देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्रकृति किस प्रकार शक्तिशाली भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के बीच भी जीवन को बनाए रखती है और पुनर्जीवित करती है।