फिनलैंड में पतंगों की प्रजातियों में जलवायु परिवर्तन के कारण महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा रहे हैं। हेलसिंकी विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि देश भर में पतंग समुदायों पर गर्म जलवायु का प्रभाव पड़ रहा है, जिससे प्रजातियों के वितरण और संरचना में परिवर्तन हो रहा है। यह शोध, जो अगस्त 2025 में प्रकाशित हुआ, दो अलग-अलग 30-वर्षीय अवधियों में एकत्र किए गए 224,000 से अधिक पतंग अवलोकनों का विश्लेषण करता है।
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि गर्म जलवायु के अनुकूल प्रजातियां अब पतंग समुदायों पर हावी हो रही हैं। विशेष रूप से, उत्तरी फिनलैंड में ठंडी परिस्थितियों को पसंद करने वाली प्रजातियां गायब हो रही हैं। इसके विपरीत, दक्षिणी फिनलैंड में गर्म जलवायु के अनुकूल नई प्रजातियों का आगमन हो रहा है, जबकि अधिकांश मौजूदा प्रजातियां बनी हुई हैं। एक महत्वपूर्ण अवलोकन यह है कि उत्तरी फिनलैंड में इन सामुदायिक परिवर्तनों की दर दक्षिणी फिनलैंड की तुलना में दोगुनी तेज है। यह त्वरित परिवर्तन उत्तरी जैव विविधता को जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बनाता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
डॉ. एमिलि एलिस, जो इकोलॉजिकल चेंज के अनुसंधान केंद्र से हैं और अध्ययन की प्रमुख लेखिका हैं, ने इस अंतर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "पतंग समुदायों की संरचना में परिवर्तन की दर उत्तर में दक्षिण की तुलना में दोगुनी तेज थी।" यह तेज गति उत्तरी जैव विविधता को गर्म जलवायु के हानिकारक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। ये निष्कर्ष अन्य हालिया शोधों के अनुरूप हैं, जैसे कि अप्रैल 2025 में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसमें पाया गया कि ठंडी जलवायु के अनुकूल प्रजातियां आम तौर पर कम हो गई हैं और उत्तर की ओर बढ़ गई हैं, जबकि गर्म जलवायु के अनुकूल प्रजातियां बढ़ी हैं।
इन अध्ययनों के निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं, जो जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के असमान प्रभाव को दर्शाते हैं। फिनलैंड के पतंग समुदायों में देखे गए ये बदलाव, पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक हैं। संरक्षण नीतियों के लिए इन निष्कर्षों का गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे यह पता चलता है कि संसाधनों को कहाँ और कैसे अधिक प्रभावी ढंग से आवंटित किया जाए। उत्तरी क्षेत्रों में ठंडी जलवायु के अनुकूल प्रजातियों के विलुप्त होने के बढ़ते जोखिम को देखते हुए, विशेष संरक्षण रणनीतियों की आवश्यकता है। इसी तरह, दक्षिणी क्षेत्रों में आने वाली नई प्रजातियों के पारिस्थितिक प्रभावों की निगरानी महत्वपूर्ण होगी। यह शोध फिनलैंड के पारिस्थितिक तंत्र में जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों को समझने में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है, जो वैश्विक स्तर पर जैव विविधता पर इसके प्रभाव की हमारी समझ को समृद्ध करता है।