मुंबई, 25 अगस्त, 2025 – भारतीय शेयर बाज़ारों में आज एक महत्वपूर्ण उछाल देखा गया, जिसमें बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांकों ने बढ़त के साथ कारोबार समाप्त किया। यह तेज़ी निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है, जो सकारात्मक आर्थिक दृष्टिकोण और अनुकूल वैश्विक बाज़ार परिदृश्य से प्रेरित है। बीएसई सेंसेक्स 81,635.91 अंक पर बंद हुआ, जो 329.06 अंकों या 0.40% की बढ़त है। दिन के दौरान, सूचकांक ने 492.21 अंकों का इंट्रा-डे उच्च स्तर भी छुआ। वहीं, निफ्टी 24,967.75 अंक पर बंद हुआ, जो 97.65 अंकों या 0.39% की वृद्धि दर्शाता है।
सेंसेक्स के घटकों में, इंफोसिस ने 3.03% की सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और टेक महिंद्रा ने भी क्रमशः 2.85%, 2.6% और 1.32% की बढ़त के साथ बाज़ार को सहारा दिया। टाटा मोटर्स, सन फार्मा, मैरिको और टाइटन जैसी कंपनियों ने भी लाभ दर्ज किया। वैश्विक स्तर पर, दक्षिण कोरिया, जापान का निक्केई, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग सूचकांक भी सकारात्मक क्षेत्र में कारोबार कर रहे थे। यह व्यापक आशावाद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सकारात्मक भावना का संकेत देता है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि सितंबर में होने वाली फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक का परिणाम और उसके बाद 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड में गिरावट ने घरेलू बाज़ार के लिए एक अनुकूल माहौल बनाया है। उन्होंने यह भी नोट किया कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के प्रति सतर्क दृष्टिकोण ने बाज़ार को स्थिरता प्रदान की है। रिलायंस ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (प्रमुख) अजीत मिश्रा ने टिप्पणी की कि बाज़ार ने सप्ताह की शुरुआत सकारात्मक नोट पर की है, और अनुकूल वैश्विक संकेतों ने इस उछाल का समर्थन किया है।
हालांकि, अमेरिकी टैरिफ (शुल्क) को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं, जो 27 अगस्त से प्रभावी होने वाले हैं और भारतीय वस्तुओं पर 25% तक अतिरिक्त शुल्क लगा सकते हैं, जिससे कुल शुल्क 50% तक पहुँच सकता है। इस अनिश्चितता के कारण, मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में शुरुआती बढ़त कम हो गई, जो घरेलू मांग पर संभावित प्रभाव को दर्शाती है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भी शुक्रवार को लगभग ₹1,622.52 करोड़ की बिकवाली की, जो बाज़ार की भावना पर कुछ हद तक दबाव डाल रहा है। इसके बावजूद, आईटी जैसे क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन और फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दर कटौती की उम्मीदों ने बाज़ार को सकारात्मक दिशा दी है। प्रस्तावित जीएसटी युक्तिकरण (GST rationalisation) को भी एक सकारात्मक घरेलू कारक के रूप में देखा जा रहा है जो उपभोग मांग को बढ़ावा दे सकता है।