एशिया की सबसे विशाल जलधाराओं में से एक, ब्रह्मपुत्र नदी, पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कायापलट से गुजर रही है। यह जीवनदायिनी जल प्रणाली, जिसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है, पहले नौवहन के लिए जटिल मानी जाती थी, लेकिन अब इसे नदी पर्यटन और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है। ब्रह्मपुत्र की विशेषता यह है कि यह तीन देशों—चीन, भारत और बांग्लादेश—से होकर गुजरती है, और भारतीय राज्य असम में यह इस क्षेत्र की धड़कन के रूप में निरंतर प्रवाहित होती है।
नदी में क्रूज गतिविधियों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। यात्रियों की बढ़ती रुचि का प्रमाण यह है कि नदी पर सक्रिय क्रूज जहाजों की संख्या 2013-2014 के सीजन में मात्र तीन से बढ़कर 2025 तक पच्चीस हो जाएगी। यह वृद्धि आधुनिक टर्मिनलों के निर्माण और नौवहन सहायता में सुधार सहित बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के कारण संभव हुई है। विशेष रूप से, वाइकिंग क्रूजेस (Viking Cruises) ने दो नए शानदार जहाजों के निर्माण में लगभग 250 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। उम्मीद है कि ये जहाज 2027 के अंत तक परिचालन शुरू कर देंगे।
इस परिवर्तन का एक मुख्य आधार सतत विकास के सिद्धांतों के प्रति समर्पण है। भारत के शून्य उत्सर्जन के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप, अब ऐसे जहाजों को शामिल किया जा रहा है जो हाइब्रिड, इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करते हैं। क्रूज टर्मिनल भी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और उन्नत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को एकीकृत कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार यात्रा के लिए एक नया मानक स्थापित हो रहा है। इस बदलाव से स्थानीय समृद्धि को मजबूती मिलने और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की उम्मीद है, साथ ही यह सड़क और रेल नेटवर्क पर पड़ने वाले दबाव को भी कम करेगा।
ब्रह्मपुत्र के माध्यम से यात्रा क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है। इन क्रूजों में अक्सर हिंदू मंदिर कामाख्या (Kamakhya Temple) का दौरा, स्थानीय संस्कृति पर व्याख्यान, चाय बागानों में घूमना और चाय तोड़ने का प्रदर्शन देखना शामिल होता है। इसके अलावा, यात्री काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park) में सफारी का आनंद लेते हैं, जो अपने एक सींग वाले गैंडों की आबादी के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) यह पार्क हाथी और जीप दोनों तरह की सफारी की सुविधा प्रदान करता है।
यद्यपि ब्रह्मपुत्र में महत्वपूर्ण जलविद्युत क्षमता है, इसकी शक्ति चरम हिस्सों में भी स्पष्ट होती है, जैसे कि दिहांग गॉर्ज (Dihang Gorge), जहां ऊंचाई में भारी अंतर के कारण नौकायन असंभव हो जाता है। फिर भी, नदी के ऊपरी हिस्सों में (जिसे सियांग Siang के नाम से जाना जाता है) रिवर राफ्टिंग अभी भी प्रशिक्षित साहसिक यात्रियों के लिए एक प्रतिष्ठित मार्ग बना हुआ है। इस जलमार्ग का भविष्य इस वर्ष 27 से 31 अक्टूबर तक मुंबई में आयोजित होने वाले इंडिया मैरीटाइम वीक (India Maritime Week) में चर्चा का केंद्रीय विषय होगा, जहां नदी की ऊर्जा को क्षेत्र के सामान्य कल्याण के लिए उपयोग करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
