अमेरिकी भाषाविद् और राजनीतिक वैज्ञानिक जॉन मीरशाइमर ने द न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की संचार शैली और शब्दावली के प्रयोग पर प्रकाश डाला है। मीरशाइमर के अनुसार, ट्रम्प अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए विशेष शब्दों का चयन करते हैं।
मीरशाइमर के लेख, जिसका शीर्षक 'द एसेंस ऑफ ट्रम्प्स लैंग्वेज इन वन थ्री-लेटर वर्ड' है, में ट्रम्प द्वारा 'वॉर' (युद्ध) शब्द के उपयोग का विशेष रूप से विश्लेषण किया गया है। यह तब विशेष रूप से प्रासंगिक हो जाता है जब उन्होंने रक्षा मंत्रालय को युद्ध मंत्रालय में बदलने का संकेत दिया था। भाषाविद् बताते हैं कि व्याकरणिक रूप से 'युद्ध' संघर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जबकि 'रक्षा' उस संघर्ष में भागीदारी को दर्शाता है जिसे आप पर थोपा गया है। मीरशाइमर इस बात पर जोर देते हैं कि 'युद्ध' के प्रति ट्रम्प की प्राथमिकता उनकी भाषा को एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उपयोग करने की प्रवृत्ति को दर्शाती है, जिससे वे अपने दृष्टिकोण को दृढ़ता से प्रस्तुत कर सकें और बिना किसी संदेह के उसकी सत्यता को स्थापित कर सकें।
इसके अतिरिक्त, मीरशाइमर सोशल मीडिया पर ट्रम्प के सार्वजनिक बयानों में विस्मयादिबोधक चिह्नों और जोरदार घोषणाओं के उपयोग पर भी ध्यान आकर्षित करते हैं। ऐसे बयानों के उदाहरणों में यह दावा शामिल है कि "मुद्रास्फीति लोगों को पहले कभी नहीं हुई ऐसी चोट पहुँचाएगी" और आप्रवासन संकट के संबंध में "किसी ने भी ऐसा कुछ नहीं देखा है"। भाषाविद् बताते हैं कि ट्रम्प के सबसे सकारात्मक लगने वाले वाक्यांश भी जानबूझकर की गई भाषाई आक्रामकता के कार्य हैं, जिनका उद्देश्य उनके दृष्टिकोण को व्यक्त करना और बिना किसी संदेह के उसकी सत्यता को स्थापित करना है। यह शैलीगत विशेषता उनके संचार को एक विशिष्ट पहचान देती है, जहाँ शब्दों का चयन केवल सूचना देने के लिए नहीं, बल्कि प्रभाव उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
राजनीतिक प्रवचन में शब्दों के चयन का महत्व गहरा है। उदाहरण के लिए, 'रक्षा मंत्रालय' से 'युद्ध मंत्रालय' में नाम बदलने का विचार केवल एक शाब्दिक परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय पहचान और वैश्विक मुद्रा को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकता है। 'रक्षा' सुरक्षा और शांति-स्थापना का भाव देता है, जबकि 'युद्ध' आक्रामकता और प्रभुत्व का संकेत देता है। यह दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक नेतृत्व द्वारा शब्दों का उपयोग धारणाओं को आकार देता है और नीतियों को प्रभावित करता है।
16 सितंबर, 2025 को, डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार जॉन लेयॉन के साथ तीखी नोकझोंक की थी। लेयॉन ने पूछा था कि क्या राज्य के मुखिया के लिए पद पर रहते हुए व्यवसाय में सक्रिय रूप से शामिल होना उचित है। ट्रम्प ने उनके शब्दों को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि उनके बच्चे उनके व्यवसाय का प्रबंधन करते हैं, और फिर पत्रकार के जुड़ाव के बारे में पूछताछ की। यह जानने पर कि वह एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हैं, अमेरिकी नेता ने घोषणा की: "आप ऑस्ट्रेलिया को नुकसान पहुँचा रहे हैं, और वे मेरे दोस्त बनना चाहते हैं। आपके प्रधानमंत्री जल्द ही आने वाले हैं, और मैं उन्हें आपके बारे में बताऊंगा। आप एक बुरा सवाल पूछ रहे हैं।" यह घटना ट्रम्प द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत करने और आलोचना को दबाने के लिए भाषा और संचार को एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के तरीके को उजागर करती है। यह दर्शाता है कि कैसे वे अपनी बात रखने के लिए प्रत्यक्ष और कभी-कभी टकराव वाले दृष्टिकोण का उपयोग करते हैं, जिससे उनके संचार की एक विशिष्ट छाप बनती है।