घाना अपने ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार कर रहा है, जिसका ध्यान अपने बिजली वितरण नेटवर्क के निजीकरण पर है। इस पहल का उद्देश्य राजकोषीय चुनौतियों का समाधान करना और दक्षता में सुधार करना है। सरकार नेटवर्क को पाँच क्षेत्रों में विभाजित करने की योजना बना रही है, जिनमें से प्रत्येक का प्रबंधन एक अलग रियायतधारी द्वारा किया जाएगा।
मुख्य लक्ष्य बिजली सब्सिडी को कम करना है, जो जनवरी 2025 तक 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। यह निजीकरण रणनीति युगांडा के उममे (Umeme) के अनुभव से प्रेरणा लेती है, जिसने पहले युगांडा के बिजली वितरण का प्रबंधन किया था। सुधारों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को स्थिर करना है। भारत में भी, ऊर्जा क्षेत्र में सुधार आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
युगांडा के उममे के अनुभव से बहुमूल्य अंतर्दृष्टि मिलती है। उममे ने युगांडा की घाटे में चल रही वितरण प्रणाली को एक लाभदायक इकाई में बदल दिया। हालाँकि, उममे के अनुबंध की समाप्ति संभावित जोखिमों को उजागर करती है, जिसमें संस्थागत ज्ञान का नुकसान भी शामिल है। घाना प्रभावी सुधारों को लागू करने के लिए युगांडा के अनुभव से सीखना चाहता है। भारत में भी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के दौरान ऐसे सबक महत्वपूर्ण हैं।