8 अक्टूबर, 2025 को, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में स्वर्ण धातु ने एक अभूतपूर्व ऊंचाई को छुआ, जो $4,000 प्रति ट्रॉय औंस के ऐतिहासिक स्तर को पार कर गया। यह असाधारण उछाल वैश्विक स्तर पर व्याप्त भू-राजनीतिक तनाव, गहरी आर्थिक अनिश्चितता और सुरक्षित-आश्रय परिसंपत्तियों के प्रति निवेशकों के बढ़ते झुकाव के संगम का परिणाम है।
इस वृद्धि के मुख्य उत्प्रेरकों में संयुक्त राज्य अमेरिका में जारी सरकारी कामकाज का ठप होना शामिल है, जिसने पारंपरिक वित्तीय बाजारों में विश्वास को क्षीण किया है। इसके साथ ही, व्यापार विवादों और मुद्रास्फीति की आशंकाओं जैसी वैश्विक आर्थिक चुनौतियों ने निवेशकों को अपनी पूंजी की सुरक्षा के लिए सोने की ओर आकर्षित किया है। वर्तमान में, अंतर्राष्ट्रीय स्पॉट गोल्ड $4,017.16 प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है, जबकि दिसंबर डिलीवरी के लिए अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स $4,040 प्रति औंस तक पहुँच गया है।
यह प्रवृत्ति केंद्रीय बैंकों की सक्रिय भागीदारी से और भी प्रबल हुई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्टों के अनुसार, 2024 के दौरान दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने 1,044.6 टन सोना खरीदा, और यह खरीदारी 2025 में भी जारी रहने का अनुमान है, जिसमें 95% केंद्रीय बैंक अगले 12 महीनों में अपने भंडार को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। चीन और पोलैंड जैसे राष्ट्रों द्वारा अपने स्वर्ण भंडारों में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। विशेष रूप से, पोलैंड का केंद्रीय बैंक 2024 में 90 टन की खरीद के साथ सबसे बड़े खरीदारों में से एक रहा।
बाजार पर इसका प्रभाव स्पष्ट है: निवेश व्यवहार में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जहाँ निवेशक अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में स्वर्ण को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप सोने की खरीद और स्वर्ण-समर्थित ईटीएफ की मांग में वृद्धि हुई है। यह बढ़ती कीमत मुद्रा बाजार को भी प्रभावित कर रही है, जिससे अमेरिकी डॉलर पर विशेष दबाव पड़ रहा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता बनी रहती है, तो आने वाले महीनों में सोने की कीमत अपनी ऊपर की ओर गति जारी रख सकती है, हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने मुनाफावसूली के कारण संभावित गिरावट की भी आशंका जताई है।