संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 9 सितंबर, 2025 को "बेहतर साथ: शांति, विकास और मानवाधिकारों के लिए 80 साल और उससे अधिक" की थीम के साथ शुरू हुआ। इस सत्र का उद्घाटन जर्मनी की पूर्व विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने किया, जो महासभा की अध्यक्ष चुनी गईं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सदस्य देशों के बीच एकता और एकजुटता के महत्व पर जोर दिया। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास को बढ़ावा देने में बहुपक्षवाद की भूमिका पर प्रकाश डाला। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गाजा की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कुछ पश्चिमी देशों द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता देने के खिलाफ "वैश्विकवादी संस्थानों" की आलोचना की। स्लोवेनिया की राष्ट्रपति नताशा पिरक मुसार ने वैश्विक मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए बहुपक्षवाद और सहयोग के महत्व पर बल दिया और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में महिलाओं के नेतृत्व में अधिक प्रतिनिधित्व की वकालत की, साथ ही वीटो शक्ति सहित संयुक्त राष्ट्र सुधार की आवश्यकता पर भी बात की।
फ्रांस, बेल्जियम, माल्टा, लक्जमबर्ग, मोनाको और अंडोरा सहित कई यूरोपीय देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है। यूनाइटेड किंगडम, पुर्तगाल, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी पहले फिलिस्तीन को मान्यता देने का इरादा व्यक्त किया था। इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका ने फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता का कड़ा विरोध किया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि 1967 से इजरायल द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र पर फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना इजरायल के अस्तित्व को खतरे में डाल देगी और यह आतंकवाद को पुरस्कृत करने जैसा है।
यह सत्र जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय संघर्षों और सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर विश्व नेताओं की चर्चा के साथ जारी रहेगा। संयुक्त राष्ट्र के 80 साल पूरे होने के अवसर पर, यह सत्र वैश्विक सहयोग और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सत्र में महिला सशक्तिकरण और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की जा रही है, जो एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत विश्व की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।