उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों ने हाल ही में नीदरलैंड्स के हेग में संपन्न शिखर सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण वित्तीय प्रतिबद्धता पर सहमति व्यक्त की, जिसमें वर्ष 2035 तक रक्षा और सुरक्षा व्यय को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। यह निर्णय पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के अनुरूप था, जिन्होंने गठबंधन की एकता और साझा सुरक्षा जिम्मेदारी पर जोर दिया था।
यह नया लक्ष्य दो भागों में विभाजित किया गया है: जीडीपी का 3.5 प्रतिशत पारंपरिक रक्षा आवश्यकताओं, जैसे कि सैन्य क्षमता और हथियार प्रणालियों पर केंद्रित होगा, जबकि शेष 1.5 प्रतिशत व्यापक सुरक्षा निवेशों के लिए आवंटित किया जाएगा। इन व्यापक निवेशों में साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और गठबंधन के रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करना शामिल है। यह समझौता रूस से उत्पन्न दीर्घकालिक खतरों और आतंकवाद की निरंतर चुनौतियों के बीच गठबंधन की निवारक क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है।
हालांकि, इस सामूहिक संकल्प के बावजूद, स्पेन ने इस उच्च लक्ष्य को अपनाने से इनकार कर दिया है। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने नाटो महासचिव मार्क रुटे को पत्र लिखकर इस 5 प्रतिशत के लक्ष्य को 'अवास्तविक' और देश की कल्याणकारी राज्य की व्यवस्था के लिए 'हानिकारक' बताया। सांचेज ने संकेत दिया कि स्पेन केवल 2 प्रतिशत के मौजूदा बेंचमार्क का ही पालन करेगा, यह कहते हुए कि उनका वर्तमान रक्षा बजट 'पर्याप्त, यथार्थवादी और देश की कल्याणकारी राज्य की व्यवस्था के अनुकूल' है।
डोनाल्ड ट्रंप ने स्पेन की इस अनिच्छा को 'भयानक' बताते हुए चेतावनी दी कि इसका नकारात्मक प्रभाव स्पेन की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। यह स्थिति नाटो के भीतर वित्तीय जिम्मेदारी की व्याख्या को लेकर मौजूद गहरे मतभेदों को उजागर करती है, जहाँ एक ओर अमेरिका और कुछ सहयोगी देश रक्षा खर्च में बड़ी वृद्धि के लिए दबाव बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्पेन जैसे देश अपनी आंतरिक सामाजिक प्राथमिकताओं को सर्वोपरि रख रहे हैं। यह टकराव सामूहिक सुरक्षा की साझा जिम्मेदारी और संप्रभु प्राथमिकताओं के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती को दर्शाता है।