ऐतिहासिक समझौता: टैरिफ और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर अमेरिका-चीन सहमति, ट्रंप और शी की मुलाकात के बाद

द्वारा संपादित: gaya ❤️ one

अक्टूबर 2025 में, मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित हुए एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन ने कई महत्वपूर्ण व्यापारिक मुद्दों पर एक निर्णायक समझौता किया। यह घटनाक्रम, जो दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच गहन व्यक्तिगत वार्ताओं का परिणाम था, 2019 के बाद दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के बीच पहला सीधा संपर्क था। इस ऐतिहासिक समझौते ने वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं और व्यापार युद्ध की आशंकाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महत्वपूर्ण समझौते की घोषणा की, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा कई पारस्परिक रियायतें शामिल थीं। समझौते के तहत, संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर लगाए गए आयात शुल्क को 57% के मौजूदा उच्च स्तर से घटाकर 47% करने पर सहमति व्यक्त की। इस कदम से 1 नवंबर से लागू होने वाले 100% शुल्क जैसे अत्यंत कड़े उपायों के तत्काल खतरे को टाल दिया गया। बदले में, बीजिंग ने अमेरिकी सोयाबीन और अन्य कृषि उत्पादों की बड़े पैमाने पर खरीद फिर से शुरू करने का वादा किया, जो अमेरिकी किसानों के लिए एक बड़ी आर्थिक राहत लेकर आया।

समझौते में रणनीतिक सामग्री और नशीले पदार्थों के नियंत्रण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। चीन ने इस बात की पुष्टि की कि वह दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (rare earth minerals) के खुले और स्वतंत्र निर्यात को जारी रखेगा, जो वैश्विक प्रौद्योगिकी और विनिर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त, दोनों राष्ट्रों ने खतरनाक ओपिओइड फेंटानिल के अवैध व्यापार को रोकने के लिए संयुक्त रूप से काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया। एक महत्वपूर्ण सामरिक कदम के रूप में, बीजिंग ने दुर्लभ पृथ्वी खनिजों और चुम्बकों पर निर्यात नियंत्रण लगाने को एक वर्ष के लिए टालने पर सहमति व्यक्त की, जिससे व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता में कुछ समय के लिए ठहराव आ गया है।

इस सकारात्मक खबर पर वैश्विक वित्तीय बाजारों की प्रतिक्रिया तुरंत और मिश्रित थी। अमेरिकी सोयाबीन वायदा (futures) में गिरावट आई, जो बाजार में आपूर्ति बढ़ने और कीमतों पर दबाव पड़ने की उम्मीद को दर्शाती है। हालांकि बातचीत का माहौल सामान्य तौर पर सकारात्मक था, शंघाई कंपोजिट सूचकांक (Shanghai Composite Index) अपने पिछले दस साल के उच्चतम स्तर से थोड़ा नीचे आ गया। यह गिरावट इस बात का संकेत देती है कि निवेशक इन दीर्घकालिक समझौतों की मजबूती और स्थिरता के प्रति अभी भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। कुल मिलाकर, एशियाई बाजारों ने इस प्रगति पर सावधानी भरा आशावाद प्रदर्शित किया।

दोनों पक्षों ने भविष्य में आर्थिक प्रवाह में सामंजस्य स्थापित करने और सहयोग बढ़ाने की सामान्य इच्छा व्यक्त की है। व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही दोनों देशों के बीच एक "प्रारंभिक सहमति" बन गई हो, लेकिन इन नए संबंधों की संरचनात्मक स्थिरता को लेकर अभी भी कई अनसुलझे प्रश्न बरकरार हैं। फिर भी, यह समझौता भविष्य के अधिक व्यापक कदमों के लिए एक आवश्यक नींव रखता है। अब यह दोनों प्रमुख शक्तियों पर निर्भर करता है कि वे भविष्य की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपनी ली गई प्रतिबद्धताओं को कितनी जिम्मेदारी और ईमानदारी से लागू करते हैं।

स्रोतों

  • Dubai Eye 103.8

  • US-China trade agreement and future trade prospects - Fastmarkets

  • US-China Trade Negotiations October 2025: Kuala Lumpur Framework and Supply Chain Implications | ALS Industry Insights

  • US-China trade framework agreed and other trade news to know | World Economic Forum

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