जापान ने फुकुओका प्रान्त में अपने पहले ऑस्मोटिक पावर प्लांट का संचालन शुरू कर दिया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह संयंत्र, जो 5 अगस्त 2025 से चालू हुआ है, ताजे पानी और समुद्री जल के बीच लवणता के अंतर का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करता है। यह तकनीक, जिसे 'ब्लू एनर्जी' या 'लवणता प्रवणता शक्ति' भी कहा जाता है, दुनिया भर में टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की दिशा में एक नया कदम है।
यह संयंत्र फुकुओका जिला जलworks एजेंसी द्वारा संचालित है और यह दुनिया का दूसरा व्यावसायिक ऑस्मोटिक पावर प्लांट है, जो 2023 में डेनमार्क में स्थापित पहले संयंत्र के बाद आया है। इस नई सुविधा से सालाना लगभग 880,000 किलोवाट-घंटे बिजली उत्पन्न होने का अनुमान है, जो लगभग 220 औसत जापानी घरों की बिजली की खपत के बराबर है। इस उत्पन्न बिजली का उपयोग स्थानीय विलवणीकरण संयंत्र को चलाने के लिए किया जाएगा, जो फुकुओका और आसपास के क्षेत्रों को पीने का पानी उपलब्ध कराता है।
ऑस्मोटिक पावर का कार्य सिद्धांत ओस्मोसिस (परासरण) की प्राकृतिक प्रक्रिया पर आधारित है। इसमें एक अर्ध-पारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) का उपयोग किया जाता है जो केवल पानी के अणुओं को गुजरने देती है, लेकिन नमक जैसे आयनों को रोकती है। इस संयंत्र में, कम लवणता वाले पानी (जैसे कि सीवेज उपचार सुविधा से प्राप्त उपचारित अपशिष्ट जल) को उच्च लवणता वाले समुद्री जल से एक झिल्ली द्वारा अलग किया जाता है। कम लवणता वाले पानी से उच्च लवणता वाले पानी की ओर पानी का यह प्रवाह एक दबाव बनाता है, जिसे बाद में एक टरबाइन को घुमाने और बिजली उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है।
यह प्रक्रिया मौसम या दिन के समय से अप्रभावित रहती है और कोई कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन नहीं करती है, जिससे यह एक विश्वसनीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत बन जाती है। फुकुओका संयंत्र की स्थापना को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। सिडनी विश्वविद्यालय ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. अली अल्ताई जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिए व्यवहार्य है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इसी तरह की परियोजनाओं की अपार संभावनाएं हैं, जहाँ प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। टोक्यो विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर एमरिटस, अकिहिको तनिओका ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक बड़ी सफलता है और उन्हें उम्मीद है कि यह तकनीक दुनिया भर में फैलेगी।
ऑस्मोटिक पावर का वैश्विक तकनीकी क्षमता लगभग 1600 टेरावाट-घंटे (TWh) अनुमानित है, जो इसे भविष्य के ऊर्जा मिश्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता प्रदान करता है। यह तकनीक सौर और पवन ऊर्जा जैसे रुक-रुक कर चलने वाले नवीकरणीय स्रोतों के पूरक के रूप में कार्य कर सकती है, जिससे एक स्थिर और निरंतर स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। जापान का यह कदम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कैसे नवाचार और प्रकृति के नियमों का उपयोग करके हम एक स्थायी ऊर्जा भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।