इंडोनेशिया और यूरोपीय संघ (ईयू) ने 23 सितंबर, 2025 को बाली में एक ऐतिहासिक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता लगभग एक दशक की बातचीत के बाद हुआ है और यह दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस समझौते के तहत, दोनों पक्ष 98 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर टैरिफ समाप्त करने के लिए सहमत हुए हैं, जिससे व्यापार और निवेश के नए अवसर खुलेंगे।
इंडोनेशिया के आर्थिक मामलों के समन्वयक मंत्री एयरलांगा हार्टाटो ने इस हस्ताक्षर को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया, जो एक खुले, निष्पक्ष और टिकाऊ आर्थिक साझेदारी के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यूरोपीय आयुक्त मारोस सेफकोविक ने इस समझौते को अंतिम रूप देने में इंडोनेशिया के समर्पण और राजनीतिक नेतृत्व की सराहना की। इस समझौते से इंडोनेशिया के पाम तेल, कॉफी, कपड़ा, जूते और फर्नीचर जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को लाभ होने की उम्मीद है।
यह समझौता इंडोनेशिया के राष्ट्रीय आय में 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि और नए रोजगार सृजन में भी योगदान देगा, जिससे लगभग पांच मिलियन श्रमिकों को लाभ होगा। यह समझौता दोनों क्षेत्रों के बीच व्यापार प्रवाह को बढ़ाने और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यूरोपीय संघ के लिए, यह समझौता इंडोनेशिया के विशाल बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा, जो 280 मिलियन से अधिक उपभोक्ताओं का घर है। वहीं, इंडोनेशिया के लिए, यह यूरोपीय बाजारों में टैरिफ बाधाओं को कम करेगा, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी। अनुमान है कि इस समझौते के लागू होने के बाद इंडोनेशिया से यूरोपीय संघ को निर्यात 60 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
यह समझौता न केवल आर्थिक लाभ प्रदान करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि व्यापार और निवेश में उच्च पर्यावरणीय और सामाजिक मानकों को बनाए रखा जाए। यह कदम वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप है और दोनों पक्षों के बीच दीर्घकालिक संबंधों को और मजबूत करेगा। यह ध्यान देने योग्य है कि यह समझौता अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बीच हुआ है, जिसने वैश्विक व्यापार परिदृश्य में अनिश्चितता पैदा की है। ऐसे में, यह साझेदारी दोनों के लिए एक रणनीतिक कदम है।
इस समझौते को लागू होने में अभी कुछ समय लगेगा, क्योंकि इसके लिए इंडोनेशियाई विधायिका और यूरोपीय संसद के साथ-साथ यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की मंजूरी की आवश्यकता होगी। हालांकि, उम्मीद है कि यह 2027 की शुरुआत तक लागू हो जाएगा। यह मील का पत्थर इंडोनेशिया को दक्षिण पूर्व एशिया में एक प्रमुख आर्थिक भागीदार के रूप में स्थापित करता है और दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करता है।