माउंट एवरेस्ट, जिसे अक्सर 'दुनिया का सबसे ऊंचा कूड़ेदान' कहा जाता है, अब कचरा प्रबंधन और पर्वतारोही सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए भारी-भरकम ड्रोन का उपयोग कर रहा है। नेपाल के अधिकारी और स्थानीय कंपनियां, जैसे एयरलिफ्ट टेक्नोलॉजी, डीजेआई के साथ मिलकर इस अभिनव समाधान को लागू कर रही हैं। ये ड्रोन, विशेष रूप से डीजेआई फ्लाईकार्ट 30, 30 किलोग्राम तक का भार ले जाने में सक्षम हैं, जो एवरेस्ट के चढ़ाई शिविरों से कचरे को बेस कैंप तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह पहल अप्रैल 2024 में शुरू हुई और 2025 के लिए भी जारी रहने की उम्मीद है।
ड्रोन का उपयोग न केवल कचरे को हटाने की प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाता है, बल्कि यह शेर्पाओं के लिए भी एक बड़ा सुरक्षा उपाय है। पारंपरिक रूप से, शेर्पाओं को खतरनाक खुंबू आइसफॉल से कचरा नीचे लाना पड़ता था, जो एक जोखिम भरा काम है। अब, ड्रोन इस काम को संभाल रहे हैं, जिससे शेर्पाओं के जीवन को खतरा कम हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक ड्रोन केवल 10 मिनट में उतना कचरा ले जा सकता है जितना 10 लोग छह घंटे में ले जाते हैं।
कचरा हटाने के अलावा, इन ड्रोन का उपयोग शेर्पाओं को आवश्यक आपूर्ति, जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर और रस्सियाँ, पहुंचाने के लिए भी किया जा रहा है। यह पर्वतारोहियों के लिए सुरक्षा को और बढ़ाता है, खासकर खुंबू आइसफॉल जैसे खतरनाक हिस्सों में। डीजेआई फ्लाईकार्ट 30 जैसे ड्रोन ने 2025 के वसंत ऋतु में 1,259 किलोग्राम से अधिक कचरा और उपकरण बेस कैंप तक पहुंचाए।
यह तकनीक न केवल एवरेस्ट के पर्यावरण को साफ रखने में मदद कर रही है, बल्कि पर्वतारोहण अभियानों की समग्र सुरक्षा और दक्षता में भी सुधार कर रही है। इस परियोजना का उद्देश्य एवरेस्ट के पर्यावरणीय पदचिह्न को कम करना है। पिछले वर्षों में, एवरेस्ट पर लगभग 200 टन कचरा जमा हो गया था, जिसमें छोड़े गए गियर, खाद्य पैकेजिंग और मानव अपशिष्ट शामिल थे। ड्रोन का उपयोग इस समस्या का एक व्यावहारिक समाधान प्रदान करता है।
यह तकनीक न केवल एवरेस्ट के लिए, बल्कि भविष्य में अन्य हिमालयी चोटियों पर भी पर्यावरण प्रबंधन और अभियान सुरक्षा के लिए एक नया मानक स्थापित कर सकती है। यह नवाचार दर्शाता है कि कैसे उन्नत तकनीकें चरम वातावरण में वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान कर सकती हैं, जिससे पर्वतारोहण सुरक्षित और अधिक टिकाऊ बन सके।